asd पृथ्वी दिवस पर विशेष! मतदाता सांसद उम्मीदवारों से पूछे प्लास्टिक का उपयोग रोकने और प्रदूषण फैलाने वाले कचरे पर अंकुश लगाने के लिए क्या करेंगे

पृथ्वी दिवस पर विशेष! मतदाता सांसद उम्मीदवारों से पूछे प्लास्टिक का उपयोग रोकने और प्रदूषण फैलाने वाले कचरे पर अंकुश लगाने के लिए क्या करेंगे

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दुनियाभर में हर वर्ष 1970 से 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उददेश्य पर्यावरण संतुलन बनाए रखना और नागरिकों को प्रदूषण रहित माहौल में सांस लेने का मौका उपलब्ध कराना तो है ही पृथ्वी और भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए प्रकाश संश्लेषण और शाकाहार दोनों परस्पर जुड़े सहयोग जलवायु परिवर्तन नियंत्रण करने के महत्वपूर्ण उपाय है। इस बारे में अगर बड़ी तादात अगर दोहन में लगी है तो कुछ लोग ऐसे भी जो इससे राहत दिलाने के उपाय ढूंढ रहे हैं। गोरखपुर में ऐसा ही एक प्रयास कचरे वाली प्लास्टिक हडिडयों को जोड़ने और फिर मिटटी में मिल जाने पर रिसर्च हुआ है। एमयूपी के प्रोफेसर राजेश यादव के नेतृत्व में अस्पतालों से निकलने वाले कचरे से ऐसा पदार्थ बना रही है जिसका इस्तेमाल पीओपी के रूप में हो सकेगा। दूसरी तरफ प्रतापगढ़ के रिसाईकिल और रियूज पर्यावरण संरक्षण के लिए सराय आनंद देव गांव में सरकारी शिक्षक अनिल कुमार द्वारा पुरानी किताओं को छात्रों में वितरित करने का कार्य शुरू किया गया है। इससे कागज की खपत कम होगी और पेड़ों का कटान कम होगा।
फिर भी पृथ्वी के लिए सबसे बड़ा अभिशाप प्लास्टिक कचरा बना हुआ है इससे स्वच्छ वातावरण प्रदूषित हो रहा है वहीं गाय प्लॉस्टिक खाकर बीमार हो रही है और इनका दूध पीने वाले बच्चों को बीमारी घेर रही है। यह किसी से छिपा नहीं है कि पेड़ पहाड़ जल जमीन का दोहन प्लास्टिक का बढ़ता प्रचलन समाज के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है। ऐसा नहीं है कि लोग जानते नहीं है लेकिन ग्रामीण कहावत कि भगत सिंह तो पैदा हो लेकिन हमारे घर में नहीं के समान प्लास्टिक का यूज कम हो लेकिन यह दूसरें करे। सरकार द्वारा हर साल अरबो रूपये इसमें सुधार पर खर्च किए जाने के बाद भी इनका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।
लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि वर्तमान में लोकसभा चुनाव चल रहे है। कौन से कानून बनेंगे और क्या बदलाव होंगे यह तय करने वाले सांसद प्रत्याशियों से हम ना तो उनसे सवाल कर रहे हैं और वह क्या करेंगे ना यह पूछ रहे हैं। आज इस पृथ्वी दिवस के मौके पर मेरा सभी मतदाताओं से आग्रह है कि गांधीवादी तरीके से अपने उम्मीदवार से यह पूछा जाए कि वो नागरिकों के लिए अभिशाप बनती जा रही प्लास्टिक पर अंकुश लगाने और स्वच्छ वातावरण में सांस लेने का मौका उपलब्ध कराने के लिए क्या करेंगे। मेरा मानना है कि हमें सांसद उम्मीदवारों से यह सवाल भी करना चाहिए कि वह हर साल जो करोड़ों पौधे लगाती है उनमें से कितने सुरक्षित रहते हैं इस बारे में भी जनहित में पूछा चाहिए।

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