नया साल हो या होली दिवाली अथवा कोई अन्य त्यौहार या शुभ दिन कुछ नया खरीदने और उपयोग करने की इच्छा हमेशा ही सब में बनी रहती है। अमीर लोग महंगे और ब्राडेंड वस्तुऐं खरीदते है तो मध्यम दर्जे का व्यक्ति सस्ती और टिकाऊ वस्तुऐं लेता है। और अब गरीबी की रेखा के इर्द गिर्द वालों की बात करे तो वो भी अपनी सामर्थ के साथ जितना हो सकता है खरीदारी करते है।
अब प्रशंताओं से परिपूर्ण दीपावली की बात ले तो देश भर में विभिन्न मॉडल की गाड़ियों की बिक्री उम्मीद से बेहतर रही और इसमें 50 प्रतिशत की बताते है वृद्धि हुई। बीती धनतेरस को आठ हजार करोड़ वाहनों की बिक्री होने की चर्चा है। इसी प्रकार से इलैक्ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी भी जमकर की गई। तथा अपनों को देने के लिए महंगी मिठाईयां और गिफ्ट तो बेहिसाब बिके। लेकिन महंगाई सिर्फ सोने चांदी पर ही क्यों नजर आई। और भविष्य में जो सोना एक लाख रूपये तोला से पार होने की बात कही जा रही है और चांदी की कीमत बीते पांच साल में दोगुना हो गई इसके पीछे वर्तमान में कौन से कारण है। यह सोचना तो बड़े विस्तार का काम है। लेकिन जितना पढ़ने सुनने और देखने को मिलता है उससे यह लगता है कि दुनिया भर में तेजी से बढ़ता भूराजनीतिक तनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बढ़ती अनिश्चिता, कई देशों के केन्द्रीय बैंकों के द्वारा दरों में की गई कटौती, भारत सहित बड़े देशों ने बढ़ाया अपना स्वर्ण भंड़ार, शेयर बाजार में गिरावट की आशंका, त्यौहार और शादी के सिजनों में सोने के जेवरों की बढ़ती खरीदारी इस महंगाई का बड़ा कारण कह सकते है। अब अगर सोचे तो सिर्फ जिस तेजी से सोने चांदी की कीमत बढ़ रही है इस समय उसमें ही निवेश करने पर कुछ फायदे का आधार नजर आता है। और क्योंकि और किसी चीज में वर्तमान परिस्थितियों में सख्ती के चलते जिन लोगों पर अभी भी काला धन है उनके लिए भी सोना और चांदी ही एक मात्र विकल्प है अपने पैसे की खपत करने का। इन तथ्यों को ध्यान में रखकर निवेशकों ने चांदी को सस्ता विकल्प मानकर उसमें निवेश किया क्योंकि अभी एक तोला सोने की कीमत में थोड़े से हजार रूपये और डालकर एक किलो चांदी खरीदी जा सकती है। दूसरे चीन सहित कुछ देशों ने जो चांदी का भंड़ार बढ़ाया तथा ईवी और वैकल्पिक ऊर्जा के उपकरणों और मिठाईयों पर महंगी चांदी के वर्क का उपयोग भी पांच साल में इसकी दोगुनी कीमत होने का कारण कह सकते है।
लाभ के दृष्टिकोण से आज की तारीख में सोने चांदी के आभूषण सरकारी स्वर्ण ब्रांड़ गोल्ड और सिल्वर ईटीएफ डिजीटल गोल्ड सिल्वर गोल्ड सेविंग फंड गोल्ड और म्यूचल फंड भी लाभ के लिए निवेश के विकल्प कहे जा सकते है। अब क्योंकि बैंकों से जो सोने की खरीद काली कमाई से नहीं हो सकती इसकी खपत सिर्फ कुछ सोना चांदी बेचने वालों के यहां ही की जा सकती है ऐसे में मौके का फायदा उठाने में कोई नहीं चूक रहा मगर इससे जो महंगाई बढ़ रही है वो आम आदमी के लिए दुखदायी है क्योंकि जिस तेजी से सोने चांदी की महंगाई बढ़ी उस तेजी से ना तो अन्य व्यापार में मुनाफा और ना ही तनख्वाह बढ़ी इस लिए इस क्षेत्र में जो बढ़ोत्तरी हो रही है एक सीमा से ऊपर के धनवान तो इससे संबंध शोक पूरा करने में सफल है मगर आम आदमी की पहुंच से यह सफेद और सुनहरी आकर्षित करने वाली चीजें दूर होती जा रही है।
इसके बावजूद खबर के अनुसार बीती धनतेरस पर देशभर में 35 टन सोना हल्के आभूषणों गिन्नी आदि के रूप में बिका। और कहा जा रहा है कि खुदरा बाजार में 60.000 करोड़ का कारोबार चांदी और सोने के जेवरों आदि का हुआ।
मैं यह तो नहीं कहता कि गरीब के तन से सोने चांदी के जेवर दूर होने के पीछे सरकार की काले धन को निकालने और अन्य उन स्थानों जहां पर इसकी खपत हो सकती थी वहां सख्ती करने से सोने चांदी की कीमत में बेईनताह वृद्धि हुई मगर यह पक्का है। पुरूष हो या महिला अथवा बच्चे एक आमदनी से कम सीमा में कमाई करने वाले धीरे धीरे अपना यह शोक पूरा करने से दूर होते जा रहे है।
मगर इस चर्चा में दम नजर आता है कि जिसके पास अगर गुंजाईश है तो वो अपनी सामर्थ के अनुसार सोना चांदी खरीदकर अपने पैसों को बढ़ाने का प्रयास फिलहाल कर सकता है।
समीक्षा प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए पूर्व सदस्य मीठिया बोर्ड यूपी
काले धन पर सख्ती से सोना चांदी हुआ महंगा, गरीब के तन से इनसे बने जेवर होते जा रहे है दूर, धनतेरस पर 60 हजार करोड़ का हुआ कारोबार
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