दुनिया में शायद ऐसा कोई व्यक्ति ही होगा जो अकाल मौत मरना या अपनी गलती से घायल अथवा दुर्घटनाग्रस्त होकर मरना चाहेगा। यह भी सही है कि सरकार आम आदमी की सुरक्षा के लिए जो उपाय करे उन्हें भी हमें मानना और अपनाना चाहिए। क्योंकि इसी से हम और हमारा परिवार सुखी और खुशहाल व स्वस्थ रह सकता है। मगर इसके लिए जबरदस्ती या चालान कर अथवा अन्य कार्रवाई करके उसे मजबूर किया जाए वो कहीं से भी ठीक नहीं है। क्योंकि वैसेे भी कहते हैं कि जिसकी आ गई उसे कोई रोक नहीं सकता और जिसे भगवान ने अपने पास बुलाना है उसे कोई रोक नहीं कर सकता। संबंधित विभागों के अधिकारियों को प्यार से लोगों को बिना उत्पीड़ित किए समझा बुझाकर जितना हो सकता है कोई कसर ऐसे मामलों में नहीं छोड़नी चाहिए लेकिन हिटलर शाही किसी भी रूप में ठीक नहीं कही जा सकती। वर्तमान में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट लगाने को लेकर बवाल मचा हुआ है। किसी का बयान आता है कि पीछे बैठी सवारी को भी अनिवार्य रूप से हेलमेट लगाना होगा तो कोई कह रहा है कि बिना हेलमेट के कार्यालयों में एंट्री और पेट्रोल नहीं मिलेगा। कुछ का कहना है कि बिना हेलमेट कचहरी में प्रवेश नहीं दिया जाएगा तो मीडिया वाले भैया लिखते घूम रहे हैं कि दो पहिया वाहन चालक आईएसआई मार्का हेलमेट उपयोग नहीं कर रहे। सस्ते लगाए घूमते हैं। यह बात सही है कि हेलमेट अगर लगा है तो बड़ी तादात में सिर में चोट लगने से राहत मिल जाती है लेकिन यह भी सही है कि इसे लगाने वाले भी दुर्घटनाओं में मरते ही है। नागरिकों को अपने परिवार की खुशहाली और अपने आपको स्वस्थ रखने तथा दुर्घटना होने के बाद आर्थिक दबाव से बचने के लिए हेलमेट जरूर लगाना चाहिए लेकिन यह जो जबरदस्ती चल रही है वो बंद हो क्योंकि कुछ लोग यह भी कहने लगे हैं कि इसकी अनिवार्यता जबरदस्ती लागू कराना और फिर कंपनियों का ही हो ऐसा दबाव बनाने के पीछे कहीं कुछ लोगों की हेलमेट कंपनियों के संचालकों से मिलीभगत तो नहीं है। मेरी निगाह में तो ऐसा नहीं हो सकता मगर एक बात जरूर कही जा सकती है कि शासन प्रशासन और पुलिस के समक्ष वैसे ही काफी समस्याएं मुंह बाये खड़ी रहती है। अब हेलमेट को लेकर जो पेट्रोल या कार्यालय में प्रवेश ना देने और कंपनी का होना चाहिए जैसी शर्ते विवाद और तनाव को बढ़ावा दे रही है जिसका नुकसान भले ही दबाव डालने और चालान करने वालों का ना हो रहा हो लेकिन आम आदमी के मानसिक रूप से बीमार होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसा नागरिकों के साथ मेरा भी मानना है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
वाहन चालक हेलमेट जरूर लगाएं लेकिन जबरदस्ती और शर्तें ना लादी जाएं
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