कोलकाता के आरजी कर अस्पताल मामले में काम बंद का डॉक्टरों ने लिया आहवान वापस तो मेरठ के हड़ताली डॉक्टर काम पर लौटै। बता दें कि एक महिला डॉक्टर की हत्या व रेप के बाद देशभर में आंदोलन हुए और डॉक्टर विरोध में सड़क पर उतरे। मेरठ में जूनियर डॉक्टर पर हमले के विरोध में कई दिन से हड़ताल पर थे डॉक्टर। युग कोई सा हो और चिकित्सा पद्धति कोई भी अपनाई जाती रही लेकिन अमीर हो गया गरीब सबके द्वारा डॉक्टरों का सम्मान किया जाता रहा। भगवान के बाद कष्टों के निवारण के मामले में इनके प्रयासों के लिए हमेशा इनका आभार व्यक्त किया जाता रहा है। वर्तमान में भी स्थिति इससे अलग नहीं है। पहले के मुकाबले अब बीमारियों की जिस प्रकार संख्या बढ़ रही है। और नए नए बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में डॉक्टरों की और भी जरूरत बढ़ी है। आज भी आम आदमी डॉक्टरों का सम्मान कर रहे हैं। उसके बावजूद डॉक्टरों पर हमला नर्सिंग होमों में तोडफोड क्यों हो रही है इस बारे में डॉक्टरों को सोचना होगा। कि उन पर जनता हमलावर क्यों हो जाती है। इस बारे में जहां तक मुझे लगता है डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए नियम बनाने और सरकार को भी ऐसे मामलों पर विचार करने की जरूरत है। जो शायद नहीं हो रहा ।
मेरा देश के डॉक्टरों सरकारों जनप्रतिनिधियों से आग्रह है कि इसकी समीक्षा कराएं कि पीड़ित और उसके परिवार के लोग उग्र क्यो हो जाते हैं। वैसे तो ये समीक्षा के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन मुझे लगता है कि चिकित्सा के व्यापारीकरण और डॉक्टरों द्वारा भरपूर पैसा लेकर इलाज न करने के बाद अपने को निरंकुश दर्शाने किसी को कुछ भी कह देने या चिकित्सा उपलब्ध ना कराने और अनुमानित खर्च से ज्यादा वसूली और कई मामलों में बिना इंजेक्शन लगाए पैसा वसूलने की जो प्रवृति कुछ अस्पताल संचालकों और डॉक्टरों मंे उभरकर आई है वो भी डॉक्टरों का सम्मान ना होने का कारण हो सकता है।
कोलकाता में डॉक्टर के साथ हो हुआ वो निंदनीय और दोषियों को सजा दिलानी चाहिए थी लेकिन देश की बेटियों के साथ होने वाले रेप अपहरण के मामलों को नजरअंदाज कर डॉक्टरों द्वारा सिर्फ चिकित्सकों से संबंध जो यह आंदोलन चलाए जा रहे हैं वो भी उन्हें आम जनता से अलग करने और उनके बारे में अच्छा ना सोचने के लिए मजबूर करते हैं। मेरा मानना है कि डॉक्टरों की हड़ताल पर पूर्ण रोक लगानी चाहिए क्योंकि आम नागरिक डॉक्टरों की हितों की रक्षा के लिए तैयार है तो फिर हड़ताल कर मरीजों को परेशान करने का क्या मतलब है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
डॉक्टर निभाएं अपनी जिम्मेदारी, उनके हितों के रक्षा कर रही है जनता, आंदोलन और प्रदर्शन पर सरकार लगाएं रोक
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