2021 में कोरोना को लेकर जो हुआ उसके चलते अब इस नाम से ही आम आदमी घबराने लगा है। जब इस जैसी बीमारी की चर्चा होती है तो शरीर में सरसराहट दौड़ जाती है। चीन में फैले वायरल से कर्नाटक और गुजरात में दो दो बच्चों और गुजरात में एक बच्चे में असर दिखाई देना घबराहट की बात तो है ही लेकिन ध्यान से सोचे तो इस वायरस और कोरोना को दूर दूर तक कोई मतलब नहीं है लेकिन ग्रामीण कहावत दूध का जला छाछ भी फूंक मार पीता है के अनुसार इस वायरस की वैश्विक निगरानी जरूरी है। खबरों के अनुसार सर्द मौसम में इससे बचकर रहने की बड़ी आवश्यकता है क्योंकि यह सांसों पर अटैक कर रहा बताते है। जबकि डॉक्टरों का कहना है कि इसके लक्षण खांसी बुखार जुकाम जैसे हैं मगर फिर भी कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों और बुजुर्गों को सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि इसे लेकर फेफड़ों और सांसों की दिक्कत से इनकार नहीं किया जा सकता। कुछ डॉक्टरों का यह भी कहना है कि चीन में फैल रहा नया वायरस से सावधान रहते इस बात का ध्यान रखें कि खांसी बुखार है तो कुछ भी हो सकता है इसलिए लापरवाही बिल्कुल ना करें। मैं डॉक्टर तो हूं नहीं कोरोना ने मैंने भी देखा है और सुरक्षित भी रहा। मगर फिर भी सतर्कता जरूरी है क्योंकि उसके हटते ही दुर्घटना कब हो जाए पता नहीं चलता। लेकिन इस फैलते वायरस की संभावनाओं
ऐसे फैलता है वायरस
संक्रमण: एचएमपीवी श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है। जब एक संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है। यह वायरस से संक्रमित सतहों को छूने से भी फैल सकता है।
लक्षण: एचएमपीवी संक्रमण आमतौर पर अन्य श्वसन वायरस फ्लू के समान लक्षणों के साथ सामने आता है।
ये हैं लक्षण: खांसी, नाक बहना, बुखार, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ
सीनियर डा. अनिल नौसरान का कहना है कि गंभीर मामलों में, विशेष रूप से संवेदनशील समूहों में, यह ब्रोकियोलाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है।
सीजनलिटी: एचएम संक्रमण अधिकतर ठंडे महीनों में, आमतौर पर सर्दियों के अंत या वसंत की शुरुआत में अधिक होते हैं, जो अन्य श्वसन संक्रमणों जैसे फ्लू के समान है।
उपचारः एचएमपीवी के लिए कोई विशेष एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है। उपचार आमतौर पर सहायक देखभाल पर केंद्रित होता है, जैसे डिहाइड्रेशन, बुखार नियंत्रण और गंभीर मामलों में, ऑक्सीजन थेरेपी या मैकेनिकल वेंटिलेशन के लिए अस्पताल में भर्ती।
रोकथाम: एचएमपीवी को रोकने के लिए सामान्य श्वसन स्वच्छता प्रथाओं का पालन करना आवश्यक है, जैसे हाथ धोना, छींकते या खांसते समय टिश्यू का उपयोग करना और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क से बचना बिना किसी वजह अस्पतालों में न जाए । अस्पतालों में दीवार सीढ़ियां काउंटर आदि को न छुएं। भीड़भाड़ वाले इलाकों में हमेशा मास्क पहन कर ही जाएं। अपनी प्रतिरक्षा ( इम्यूनिटी ) को मजबूत करने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें जैसे दौड़ना, चलना, साइकिलिंग और ताजे मौसमी फल और सब्जियां खाएं। साइकिल चलाएं, वजन घटाएं, इम्यूनिटी बढ़ाएं व रोग भगाएं।
वैसे तो कोरोना की कुछ बीमारियां और जिनसे अभी भी सतर्क रहने की बात कही जा रही है बुखार खांसी जुकाम दम घुटना घबराहट यह तो बचपन से ही समय और मौसम के अनुसार मुझे भी होती रही है लेकिन कौन सी समस्या कब किसको परेशान कर दे इसलिए डॉक्टर से सलाह लेने में कोई परेशानी नहीं है। खबरों में कहा जा रहा है कि आरटी पीसीआर टेस्ट से संक्रमण की पहचान होती है लेकिन इसे भी अपने चिकित्सक की सलाह पर ही कराएं तो अच्छा है मगर फिलहाल ज्यादातर चिकित्सकों का यही मानना है कि इसके असर से घबराने की आवश्यकता नहीं है सिर्फ चौकस रहना जरूरी है। इसलिए ठंड से बचे खाने पीने का रखे ध्यान। बीमारी का सही इलाज कराकर परिवारों के साथ लंबे समय तक बने रह सकते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
वायरस से घबराएं नहीं सतर्क रहें, डॉक्टर की सलाह लें
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