वाराणसी 19 अक्टूबर। दीप और खुशियों के महापर्व दिवाली की तारीख को लेकर इस बार महाकंफ्यूजन की स्थिति है. देश के कुछ जगहों पर 31 अक्टूबर तो कहीं 1 नवंबर को दिवाली मनाने की बात सामने आ रही है. इस महाकंफ्यूजन के बीच दिवाली की सही तारीख क्या है को लेकर धर्म नगरी वाराणसी में काशी विद्वत परिषद ने बैठक कर बड़ा मंथन किया है. इस बैठक में काशी के बड़े विद्वानों ने धर्म और शास्त्रों का अवलोकन कर दिवाली की सही तारीख भी बताई है और उसके पीछे शास्त्रोक्त तर्क भी दिए है.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत धर्म विद्या विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर सुभाष पांडेय ने बताया कि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 31 मिनट तक चतुर्दशी तिथि है. उसके बाद अमावस्या तिथि कि शुरुआत हो रही है, जो अगले दिन यानी 1 नवंबर को शाम 5 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. उसके बाद प्रतिपदा तिथि की शुरुआत होगी. प्रतिपदा तिथि में लक्ष्मी पूजा का महत्व नहीं है. इसके उलट एक नवंबर की रात अमावस्या नही होगी। वहीं, गोवर्धन पूजा में उदया तिथि का मान होता है। ऐसे में गोवर्धन पूजा दो नवंबर और भाई दूज तीन नवंबर को मनाया जाएगा। इस तरह इस बार दीपोत्सव छह दिनों तक चलेगा।
शास्त्रों में उल्लेख है कि दिवाली का पूजा प्रदोषव्यापिनी और रात्रिव्यापिणी अमावस्या में होती है. इसमें उदयातिथि का कोई लेना देना नहीं है. इस लिहाज से देखा जाए, तो यह सभी मुहूर्त 31 अक्टूबर की रात में मिल रहे हैं. इसलिए दीपावली पूरे देश में 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगी. इसमें किसी को कोई कंफ्यूजन या भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए. सभी बड़े पंचांगों में 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने का जिक्र है.
दिवाली पर प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के वक्त पूजा का विशेष महत्व होता है। इस बार 31 अक्टूबर को ही प्रदोष काल मिल रहा है। अगर अमावस्या तिथि एक नवंबर को प्रदोष काल स्पर्श कर रही होती तो उस दिन दिवाली मनाना ज्यादा सही रहता, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। ऐसे में 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना सही है।
दिवाली, धनतेरस और नरक चतुर्दशी में रात के वक्त दीपदान होता है। इन पर्वों में उदया तिथि नहीं ली जाती। 31 अक्टूबर को दीपावली पूजन का पहला मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5:36 बजे से 6:15 बजे तक रहेगा। स्थिर लग्न में वृष लग्न का मुहूर्त शाम 6:28 बजे से 8:24 बजे और सिंह लग्न का मुहूर्त रात 12:56 बजे से 3:10 बजे तक मिलेगा। एक नवंबर को न तो परेवा का पूजन करना सही होगा, न ही दीपावली का पूजन।
किस दिन कौन सा पर्व
29 अक्टूबर धनतेरस
30 अक्टूबर नरक चतुर्दशी
31 अक्टूबर दीपावली
2 नवंबर अन्नकूट व गोवर्धन पूजा
3 नवंबर यम द्वितीया, भाई दूज, चित्रगुप्त पूजा