समाज में जैसे जैसे जागरूकता बढ़ रही है और सरकार हमारे अधिकारों का लाभ हमें दिलाने और बताने की कोशिश पुरजोर तरीके से करती नजर आ रही है। या तो इसे हमारी कमजोरी या लापरवाही कहंे या हर क्षेत्र में माल कमाने के लिए सक्रिय दबंगों की हठधर्मी और नियम कानूनों का पालन कराने तथा हर व्यक्ति को भयमुक्त वातावरण में सांस लेने का अवसर देने वाले कुछ अफसरों की लापरवाही जो भी हो कुछ मामलों में हमारे शहर के कई इलाके आगे के ढेर पर बैठने के समान स्थिति में है। अभी बीते दिनों कंकरखेड़ा क्षेत्र के नीलकंठ कॉलेज के निकट पाबली रोड पर सुरजकुंड निवासी नवीन अग्रवाल के एचपी गैस गोदाम में अचानक आग लग गई। भगवान का शुक है कि गोदाम के मैनेजर इमरान को समय से पता चल गया और वो उपर स्थित आवास से बाहर निकला और परिवार की महिला रूखसाना, रेश्मा और बच्चों ने बाहर निकलकर अपनी जान बचाई। छत से कूदी महिला रूखसाना और रेशमा घायल भी रही मगर कंकरखेड़ा पल्लवपुरम और दौराला पुलिस व फायर बिग्रेड ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। वरना आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 826 घरेलू, 70 ऑक्सीजन और 178 कॉमर्शियल गैस सिलेंडर क्या कर सकते थे।
उपर वाले की इसे मेहरबानी ही कहेंगे कि इतनी बड़ी घटना होते होते रह गई और कोई जान माल की हानि नहीं हुईं । देश में जहां रिहायशी इलाकों में खुले गोदामों व पटाखा फैक्ट्री में लगने वाली आग का जो हश्र होता है और उसमें जो जान माल की हानि होती है वो रूह कंपा देती है। उसके बावजूद अधिकारी और जिला पूति विभाग व पेट्रोलियम मंत्रलाय के अफसर इस ओर से क्यों चुप्पी साधे हैं जो उनके द्वारा सारे नियम कानून तोड़ बस्तियों के बीच बने गैस गोदाम को वहां से हटवाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जिला पूर्ति विभाग के अफसरों की लापरवाही का यह हाल है नागरिकों के अनुसार कि शहर के बीचो बीच इनके कार्यालय ये कुछ ही फासले पर स्थित लाला रामानुज दयाल वैश्य बाल सदन जिसमें अब काफी आबादी रहती है यहां इंदिरा गांधी वुमेन हॉस्टल में महिलाएं रहती हैं और बाल सदन में भी कुछ बच्चे या पुलिस द्वारा भेजे गए बच्चे हो सकते हैं। इसके गेट पर पेट्रोल मौजूद है लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारी और जिला पूर्ति अधिकारी का ध्यान इस गोदाम को हटवाने की तरफ क्यों नहीं जा रहा। बताते हैं कि जब यहां टीआर जोजफ डीएम हुआ करते थे और महेश चंद वित्त नियंत्रक थे उस दौरान पासी गैस गोदाम को खाली कराने हेतु कार्रवाई शुरू की गई थी और गैस एजेंसी के संचालक पर जानकारों के अनुसार गंभीर धाराओं में मुकदमे दायर हुए थे। बाद में पता नहीं किन कारणों से गोदाम को हटवाने का सिलसिला बंद हो गया या कागजों में दबकर रह गया अथवा मुकदमेबाजी के चक्रव्यूह में उलझ गया। किसी ने भी उस कार्रवाई में आगे क्या हो रहा है यह बताने की आवश्यकता नहीं समझी गई। पाठक आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी हुक्मरान कितने सक्रिय और जिम्मेदारियों को निभाने में प्रयासरत हो सकते हैं।
मेरा डीएम वीके सिंह से आग्रह है कि बाल सदन परिसर में गैस गोदाम और होने वाली संभावित आपदाओं और बाहर बने पेट्रोल पंप व यहां रहने वाली आबादी को जनहित में इस गैस गोदाम को शहर से बाहर स्थानांतरित कराया जाए। जैसे आए दिन आग की घटनाएं होने और उनका हश्र की खबरें पढ़ने सुनने को मिलती हैं वो दिल दहलाने वाली होती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जिलाधिकारी दें ध्यान! बाल सदन में मौजूद पासी गैस गोदाम को हटवाने में क्यों खामोश हैं डीएसओ और पेट्रोलिय विभाग क्या किसी बड़े खतरे का है इंतजार, पीछे पेट्रोल पंप और चारों तरफ आबादी करती है निवास
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