डिजिटल अरेस्ट ऐसा शब्द बन गया है जो रोज पढ़ने सुनने को मिलने लगा है क्योंकि मीडिया में इसे लेकर चर्चाएं ना हो ऐसा कम ही देखने को मिलता है। अब जो कारनामा डिजिटल अरेस्ट वाले कर रहे हैं वो संयम की सीमा से बाहर होता जा रहा है। अभी तक बेटे को बाप की और बाप को बेटे की या अन्य की नकली आवाज सुनाकर ठगने के साथ घरों में नागरिकों को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों रूपये ठगने की खबरें मिलती थी। अब जो आगरा में डिजिटल अरेस्ट कर एक युवती को निर्वस्त्र कराए जाने की खबर मिली उससे सिर शर्म से झुक गया और दुख भी हुआ। ऐसी घटनाएं बढ़ती रही तो पीड़ित किसी अनहोनी घटना को अंजाम दे सकते है। इस बारे में सरकार भी मोबाइल पर नागरिकों को जागरूक कर रही है और साइबर क्राइम डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रयास कर रही है। इस मामले में एक दो लोगों की गिरफ्तारी भी पुलिस द्वारा की गई है। मुझे लगता है कि ऐसे मामलों में कुछ उपाय और ठगी करने वालों के साथ कुछ ऐसा किया जाए जिससे वो ऐसा करने की ना सोचे। ऐसी घटनाओं को ना होने देने के लिए नागरिकों को भी इस प्रकार की डराने वाली कॉल पर ध्यान नहीं देना चाहिए और मोबाइल पर जो नंबर प्रचारित हो रहे हैं उन पर शिकायत भी करनी चाहिए। ऐसा ना हो तो डर और बदनामी से मुक्त होकर पड़ोसियों से मदद लेने में नहीं चूकना चाहिए क्योंकि अब यह घटनाएं आत्मा को दुख देने वाली हो गई है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सीमा पार करने लगे हैं डिजिटल ठग, पीड़ित को बिना डरे पुलिस और पड़ोसियों से लेनी चाहिए मदद
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