asd आसाराम बापू का गुणगान करने और उनका संदेश घर घर पहुंचाने में अब भी पीछे नहीं है भक्त, महाशिवरात्रि पर किया पत्रिका का वितरण

आसाराम बापू का गुणगान करने और उनका संदेश घर घर पहुंचाने में अब भी पीछे नहीं है भक्त, महाशिवरात्रि पर किया पत्रिका का वितरण

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साधु संतों के प्रति भक्तों और श्रद्धालुओं में इतनी अपार श्रद्धा होती है इसके बारे में सुना तो बहुत था लेकिन पिछले कई वर्षों से जेल में बंद आसा राम बापू के अनुनायिकों की श्रद्धा व आस्था आज भी देखने लायक है। जगह जगह उनके जन्मदिन आदि पर भक्त उनका फोटो लगाकर प्रभात फेरियां निकालते है। तथा उनके मिशन के प्रचार से संबंध पत्रिका ऋषि प्रसाद निरंतर प्रकाशित हो रही है। आज महाशिवरात्रि पर्व पर यह देखकर आश्चर्य हुआ कि काली पलटन वेस्ट एण्ड रोड़ मार्ग पर धूप में खड़ा एक भक्त वर्ष 34 अंक 8 एक फरवरी को प्रकाशित चार कलर और 34 ब्लैक एण्ड वाईट कुलमिलाकर 38 पृष्ठ की पत्रिका जो वर्ष 2025 को प्रकाशित हुई। आने जाने वाले यात्रियों को बड़े ही श्रद्धाभाव से बांट रहा था। प्रथम पृष्ठ पर व्रत उपवास जागरण का महापर्व महाशिवरात्रि 26 फरवरी जिस पर अंकित था कि इन 8 पुष्पों से भगवान तुरंत प्रसन्न होते है। और उस पर आसाराम बापू से संबंध विभिन्न फोटो झलकियां तो नजर आई ही साथ ही पूर्व केन्द्रीय कानून व न्याय मंत्री सुब्रहमण्यम स्वामी के चित्र सहित आसाराम बापू के संबंध में उनका बयान तथाकथित अपराध जिस पर आसाराम बापू को जेल जाना पड़ा वह झूठा था उनमें कोई दोष नहीं था यह तो बड़ा पाप और गलत हुआ है। पत्रिका के 19वें पृष्ठ पर सूरत की रहने वाली कक्षा दो की छात्रा आरती प्रसाद का एक स्मरण भी छपा जिसमें बच्ची बता रही है कि जब वो 2024 के अहमदाबाद दिवाली शिविर में सदस्य बना रही थी तो उसे लगा कि जैसे बापू जी मेरे साथ मिलकर हम दोनों सदस्य बना रहे है। पत्रिका में व्रत उपवास और प्रेरक लेखकों के साथ साथ अनेकों प्रकार की छोटी छोटी खबरे छपी है। जिसे यह सिद्ध करने की कोशिश समझ आती है कि बापू जी निर्दोष और महान संत है। आखिरी कलर पृष्ठ पर तुलसी पूजन दिवस और 37/38वें पृष्ठ पर उत्तरार्यण ध्यान योग शिविर अहमदाबाद की फोटो झलकियां जिसमें आसाराम बापू के भक्तों ने उनकी उपलब्धियां व गुणगान भरपूर तरीके से किया है। सही क्या है गलत क्या है यह तो जब चल रहे मुकदमें का निर्णय आयेगा तभी स्पष्ट होगा। लेकिन पूर्व केन्द्रीय कानून व न्याय मंत्री सुब्रहमण्यम स्वामी और आसाराम बापू के भक्त ऐसा लगता है कि उन्हें पूरी तौर पर निर्दोष मानते हुए यह सोचते है कि किसी षड़यंत्र के तहत बापू को फंसाया गया हैं। जो भी हो भक्तों और समर्थकों की लीला निराली है कह कोई कुछ भी ले मगर उन्हें आसाराम बापू पहले भी निर्दोष लगते थे और आज भी निर्दोष नजर आते है और ऐसा सोचने वालों में बड़े बुजुर्गो से लेकर बच्चों तक सभी इस पत्रिका के हिसाब से शामिल है।
प्रस्तुतिः एक्टर व लेखक कबीर सिंह बिश्नोई

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