महाकुम्भ नगर 03 फरवरी। प्रयागराज के महाकुम्भ मे निरंजनी अखाड़े की छावनी में रविवार को ज्योतिष आचार्य मंजूश्री गिरी का पट्टाभिषेक कर महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई।
आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालका नन्द गिरी महाराज की अध्यक्षता और पंच परमेश्वरो एवं संत महापुरुषों के सानिध्य में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ज्योतिष आचार्य मंजूश्री गिरी (मयूर विहार, फेस वन, पॉकेट 2, दिल्ली) को महामंडलेश्वर बनाया गया।
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने कहा की संतों का तप उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह तप साधना, आत्मसंयम और परमात्मा के प्रति निष्ठा का प्रतीक है। अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि संत का तप सिर्फ शारीरिक कठिनाइयों से नहीं जुड़ा होता, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता की ओर भी होता हैं।
हम उन्हें साधुवाद देते हैं की उनका आने वाला जीवन उज्जवल हो और वह सदा अध्यत्म और उन्नति की बुलंदियों की राह पर चले। उन्होंने कहा की हम उन्हें यह भी आशीष देते हैं कि वह सदा अपनी दिव्य दृष्टि से सनातन का परचम लहराते हुए सनातन को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगी।
निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि महाकुम्भ मेला सनातन धर्म और अध्यात्म का अद्वितीय संगम है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं माँ मनसा देवी मन्दिर ट्रस्ट अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी महाराज ने अपने सम्बोधन के दौरान कहा संत का तप सिर्फ शारीरिक कठिनाइयों से नहीं जुड़ा होता, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता की ओर भी होता हैं। संतों का तप उनके आंतरिक बल और समर्पण को दर्शाता है, जो उन्हें किसी भी परिस्थिति में स्थिर और शांत बनाये रखता है।