asd बिकती है डिग्री खरीदोंगे, फर्जी यूनीवर्सिटियों से डिग्रीयां प्राप्त कर जानवरों का चारा बनाने शिक्षा माफिया व तथाकथित समाजसेवी लिखने लगे है डाक्टर, सरकार दे ध्यान! वर्ना मुझ जैसे अनपढ़ भी डाक्टर साहब कहलाने लगेगें

बिकती है डिग्री खरीदोंगे, फर्जी यूनीवर्सिटियों से डिग्रीयां प्राप्त कर जानवरों का चारा बनाने शिक्षा माफिया व तथाकथित समाजसेवी लिखने लगे है डाक्टर, सरकार दे ध्यान! वर्ना मुझ जैसे अनपढ़ भी डाक्टर साहब कहलाने लगेगें

0

अपने देश में ही क्या पूरी दुनिया में नाम के आगे डाक्टर लिखने के लिए युवाओं को बड़ी मेहनत तो करनी ही पड़ती है लाखों रूपये और रात दिन का समय भी लगाना पड़ता है तब कहीं जाकर चिकित्सक अपने नाम के आगे इस शब्द का उपयोग कर पाते है तो कुछ लोग पीएचडी दिन रात मेहनत करके पूरी करते है और डिग्री लेने के बाद डाक्टर लिख पाते है।

कमियां छुपाने माल कमाने हेतु बांट रहे डिग्रीयां
इसके अतिरिक्त सरकार ने कुछ लोगों को सम्मान देने के लिए विभिन्न यूनिवर्सिटियों को शायद यह छूट दी कि समाज में सर्वमान्य और मानव व राष्ट्रहित में काम करने वालों को यूनिवर्सिटियां डाक्टर की उपाधि उनका सम्मान करने हेतु देती है। जैसे कि फिल्म महानायक अमिताभ बच्चन उद्योगपति स्वर्गीय रतन टाटा जी आदि को यह उपाधि दी गई थी और इस पर किसी को कोई एतराज भी नहीं था।
लेकिन सरकार की इस अच्छी नीति का जहां तक चर्चाऐं सुनने को मिलती है कुछ प्राईवेट यूनीवर्सिटियों के संचालकों द्वारा अपने यहां की कमियों को छुपाने या मोटा माल कमाने के लिए संबंधित लोगों को डाक्टरेंड की उपाधि देकर स्वार्थ सिद्धी का मार्ग अपनाया जा रहा बताते है।

रेबड़ियों की भांति बांट रहे डिग्री
मगर वर्तमान में कुछ चर्चित सूत्रों से जो खबरें निकलकर आ रही है उसके अनुसार कुछ यूनीवर्सिटियां देश विदेश में प्रचलित बताकर डाक्रेड की उपाधि की रेबड़ियां हजार से लाखों रूपये लेकर बांटे जाने की बात चर्चाओं में सामने आ रही है। बताते है कि ऐसी यूनीवर्सिटियों का वजूद कहीं नहीं होता लेकिन आर्कषक अंग्रेजी नाम रखकर और अलग अलग देशों का पता देकर चारों तरफ फैले अपने दलालों अथवा जिन लोगों को फर्जी तरीके से डाक्टर की उपाधि दी जाती है उनके माध्यम से आर्कषित कर नये नये लोगों को डाक्टरेड की उपाधि दिये जाने की बात खूब सुनने को मिल रही है।

हवाई यूनीवर्सिटी के दम पर बने डाक्टर
बताते चले कि कुछ समाचार पत्रों में पिछले दिनों कई लोगों को डाक्टरेड की उपाधि मिलने की खबरें पढ़ी और फिर उनके परिचय पत्र आदि में नाम के आगे डाक्टर आदि लिखा दिखाई देने लगा और जब इसकी खोज खबर की गई तो जिन यूनीवर्सिटियों ने यह डिग्री दी है वो किन स्थिति में है तो गूगल की माध्यम से पता चला कि इस नाम की तो कोई यूनीवर्सिटी है ही नहीं जिस जगह का पता है वहां फ्लैट बने हुए है। हां कुछ नम्बर जरूर प्रदर्शित होते है लेकिन ना तो यूनीवर्सिटी नाम नजर आता है ना ही कानटेक्ट नम्बर।

मेहनत करने वाले डाक्टरों से धोखाधड़ी
अब पाठक खुद अंदाज लगाये कि ऐसी फर्जी यूनीवर्सिटियों से उपाधि लेने और फिर डाक्टर लिखने वाले हमारे चिकित्सक भाईयों और मेहनत से पीएचडी करने वाले छात्रों व वरिष्ठ नागरिकों के साथ यह इन फर्जियों की कितनी बड़ी धोखाधड़ी हो सकती है इसका आंकलन तो कोई भी लगा सकता है।

बन बैठे डाक्टर जानवरों का चारा बनाने, शिक्षा माफिया व समाजसेवी
लेकिन खोज खबर के दौरान जो यह खबरें सुनने को मिली इसमें कितनी सत्यता है यह तो जांच उपरांत ही खुलकर सामने आयेंगा। मगर जानवरों का चारा बनाने से लेकर कुछ शिक्षा माफिया तथाकथित समाजसेवियों के साथ ही चर्चा है कि टेंट शमियाने लगाने का काम करने वाले कुछ लोगों ने भी ऐसी फर्जी यूनीवर्सिटियों से डिग्री लेकर डाक्टर लिखना प्रारंभ कर दिया है।

ईमानदार हुकुमरानों को विवादों में भी फंसाने का
इस बात में कितनी सत्यता है यह तो पूर्ण रूप से नहीं कह सकते है मगर यह खबर भी सुनने को मिल रही है कि पूरी तौर से फर्जी तरीके से डाक्टरेड की उपाधि प्राप्त करने वालों में कुछ ऐसे भी लोग शामिल है जो देश भर के जिला मुख्यालयों पर आसीन अच्छी व ईमानदार छवि के हुकुमरानों के इर्दगिर्द घुमकर चाटुकारिता के दम पर सिफारिसी अथवा प्रशंसा पत्र प्राप्त कर डिग्रीयां ले चुके है।

बिना योग्यता के किसी को ना मिले डिग्री
मैं किसी भी महान विभूति और उनके प्रशंसकों की भावनाओं का आदर करते हुए उनको सम्मान मिलने का तो विरोधी नहीं हूं लेकिन जिस प्रकार से ऐसी महान शख्सियत की आड़ में अंधा बांटे रेबड़ियां अपनो अपनों को दे वाली कहावत चिर्ताथ करते हुए जो कई प्रकार की कमियों के बावजूद जोड़ तोड़ के आधार पर चल रही डिग्रीयां बांटकर माला माल हो रही यूनीवर्सिटियों पर अंकुश लगाने हेतु किसी भी व्यक्ति को चाहे वो कितना ही बड़ा अथवा छोटा हो बिना पीएचडी व डाक्टरी की पढ़ाई किये डाक्टरेड की उपाधि नहीं मिलनी चाहिए और ना ही डाक्टर लिखने का अधिकार। सरकार जनहित में और ऊंच शिक्षा का सम्मान बनाये रखने हेतु ऐसी डिग्रीयां बांटने पर लगाये प्रतिबंध।

दोषियों को भेजे जेल वर्ना मुझ जैसे अनपढ़ भी डाक्टर साहब बन जाएंगे
और जो यूनीवर्सिटियां अपने स्थापना के बाद से इस प्रकार की डिग्रीयां बांट चुकी है उनकी स्थापना वाले जिले के अधिकारियों से जांच कराया जाए और डिग्रीयां वापस ली जाए। और जिन लोगों ने विदेशों में स्थित फर्जी यूनीवर्सिटियों से डिग्रीयां ली है उनकी भी विदेश शिक्षा मंत्रालय से जांच कराकर उन्हें अपने देश में ब्लैक लिस्ट किया जाए और लेने वालों को जांच कराकर अगर वो फर्जी तरीके से ली गई है तो जेल भेजा जाए। वर्ना वो दिन दूर नहीं है जब मुझ जैसे अनपढ़ भी कुछ नोटों के दम पर और एक दो सिफारिशी लेटर लगवाकर अपने नाम के आगे काबलियत न होने के बावजूद डाक्टर लिखने लगेंगे ऐसा होने में सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो देर नहीं लगेगी। अगर ऐसा ही चला तो मुझ जैसे अनपढ़ डिग्रीयां प्राप्त कर डाक्टर साहब बन जाएंगे।

उद्योग रत्न, कर्मयोगी, समाजसेवी और व्यापारी रत्न की दे सके डिग्री
हां सरकार चाहे तो सही प्रकार से चल रही यूनीवर्सिटियों का उद्योग रत्न व्यापारी रत्न कर्मयोगी समाजसेवी आदि नामों से संबंध जिस क्षेत्र में भी सम्मानित होने वाले सक्रिय हो उस नाम से उन्हें डिग्री देकर सम्मानित किया जा सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

Share.

Leave A Reply

sgmwin daftar slot gacor sgmwin sgmwin sgm234 sgm188 login sgm188 login sgm188 asia680 slot bet 200 asia680 asia680 sgm234 login sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin asia680 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgm234 sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin sgmwin ASIA680 ASIA680