asd प्यारे मतदाताओं कोई परेशानी है तो बोलना तो पड़ेगा ही! नेताओं के पास अलादीन का चिराग तो है नहीं जो हर समस्या का समाधान कर दे, किसी को भला बुरा कहने या गाली देने से ?

प्यारे मतदाताओं कोई परेशानी है तो बोलना तो पड़ेगा ही! नेताओं के पास अलादीन का चिराग तो है नहीं जो हर समस्या का समाधान कर दे, किसी को भला बुरा कहने या गाली देने से ?

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यह बात सही है कि केंद्र हो या प्रदेश की सरकारें जितना हो सकता है नागरिकों के लिए करने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन समस्याएं हैं कि सुरसा के मुंुह की भांति बढ़ती ही जा रही हैं। अब क्योंकि जनसंख्या बढ़ेगी हर आदमी की नई सुविधाएं प्राप्त करने की इच्छा में बढ़ोत्तरी होगी। तो ऐेसे में कुछ कठिनाईयां और समस्याएं भी सामने आएंगी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर निष्पक्ष तरीके से सोंचे तो हर परेशानी का हल तो आम आदमी अपनी ही परेशानी का हल नहीं ढूंढ पा रहा है ऐसे में करीब 150 करोड़ की आबादी के समक्ष आने वाली हर समस्या के समाधान सरकार अपने आप कर देगी वो संभव नही लगता है क्योंकि प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री व जनप्रतिनिधि उनके पास अलादीन का चिराग तो है नहीं जो हर इच्छा अपने आप पूरी कर करे। मगर हम नेताओं को नकारा बताने के अलावा कुछ भी करने को तैयार नहीं है।
दोस्तों हमारी इसी मनोवृति और समस्या को जिम्मेदार व्यक्ति के समक्ष ना पहुंचाने का परिणाम है कि कुछ लोग वो मीडिया से भी हो सकते हैं और ऐसे उद्योगों से जुड़े भी जो गर्मी से राहत पहुंुचाने से संबंध चीजों का उत्पादन करते हो। और अपना माल बेचने के लिए आम आदमी में विभिन्न तरीकों से यह बात पहुंचाने का कोई हथकंडा नहीं चूकते कि आवश्यकता के अनुसार पानी नहीं मिल रहा है। गर्मी बहुत पड़ रही है सौ साल का रिकॉर्ड तोड़ा महंगाई बढ़ रही है ऐसी और सैंकड़ों बात हो सकती है जो हम सबको प्रभावित करती है और इन्हीं बिंदुओं को लेकर मानसिक रूप से हमें कमजोर करने और अपना माल बेचने की कोशिश कुछ लोगों द्वारा की जाती है। मैं यह नहीं कहता कि बिगड़ रहे पर्यावरण और गंदगी के चलते जो माहौल बिगड़़ रहा है उसका प्रभाव हम पर नहीं पड़ेगा। मगर इन प्रचार माध्यमों के चक्कर में ना पड़कर अगर हम सक्षम व्यक्ति तक अपनी बात पहुंचायें तो मुझे विश्वास है कि सरकार में बैठे हमारे प्रतिनिधि और चुनाव में उनके वादो के चलते अगर हम सोशल मीडिया मंचों का लाभ उठाकर उनके माध्यम से फेसबुक वॉटसऐप इंस्टाग्राम मेल यूटयूब आदि से अपनी परेशानियों की ओर ध्यान दिलाकर उनके समाधान की मांग करे तो मेरा मानना है कि काफी समस्याएं तो निपट ही जाएंगे जो मानसिक रूप से हम इनके बारे में प्रचार से प्रताड़ित हैं उससे भी छुटकारा मिलेगा। तो दोस्तो आओ एक चक्रव्यूह रचकर विभिन्न बातों और बिंदुओं के दम पर हमें मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाते हुए आर्थिक मानसिक रूप से कमजोर करने का प्रयास करने वालों को उनके हाल पर छोड़ते हुए अपनी बात प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राज्यपाल और राष्ट्रपति तक पहुंचाएं। तो यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि ये जो प्रचार के दम पर माहौल खराब कर कभी गर्मी सर्दी बरसात या पानी का ना मिलना खाद सामग्री का ना मिलने का माहौल समाप्त हो सकेगा और नीतियां भी उसी हिसाब से बनाई जाएंगी जो भविष्य में ऐसे कष्टों का हल पहले से ढंूढ लिया जाए।
साथियों नेता भी हमारे बीच से भाई बंद है। उन्हीं में मंत्री है। समस्या का समाधान करने वाले अधिकारी भी हमारे परिवार का हिस्सा है लेकिन जब तक हम गूंगे बहरे बने रहेंगे और हम कितना शोर मचा लें कुछ होने वाला नहीं है। कुछ अपना माल बेचने वाले कुलिस्त भावना के लोग अपने जैसी सोच वालों से मिलकर जनता को आकर्षित कर सकते हैं के द्वारा हमारे सामने एक नई समस्या रोज खड़ी कर सकते है। अपनों से अपनी समस्याएं कहें और समाधान ढूंढने का प्रयास करें।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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