asd कुत्तों से नागरिकों को बचाने के मुददे पर कांग्रेस सांसद ने पीएम से मुलाकात कर मांग की

कुत्तों से नागरिकों को बचाने के मुददे पर कांग्रेस सांसद ने पीएम से मुलाकात कर मांग की

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सड़कों पर घूमने वाले हिंसक हो जाने के लिए चर्चित कुत्ते आदि से नागरिकों में भय और परेशानियों का मुददा कई बार संसद और यूपी विधानसभा में उठ चुका है। स्थिति यह है कि जिलों में होने वाली बैठकों में भी व्यापारी और नागरिक इस मुददे को उठाकर इसके समाधान की पुरजोर मांग कर रहे हैं। तो लोकसभा में भी यह मुददा सांसदों द्वारा उठाया जा रहा है।
बताते चलें कि बीते दिवस पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम द्वारा पीएम मोदी से मिलकर इस बारे में कुत्तों पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स बनाने की मांग की गई। एक खबर के अनुसार कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और आवारा कुत्तों से संबंधित स्वास्थ्य एवं सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं का मुद्दा उठाया।
बैठक के दौरान चिदंबरम ने स्थानीय निकायों के साथ मिलकर समग्र, मानवीय और वैज्ञानिक समाधान के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित करने का सुझाव दिया। शिवगंगा से कांग्रेस सांसद और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के पुत्र कार्ति ने एक्स पोस्ट किया, प्रधानमंत्री से संसद भवन स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की।
आवारा कुत्तों से संबंधित स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी बढ़ती चिंताओं से उनका ध्यान आकृष्ट किया। भारत में आवारा कुत्तों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। अनुमान के अनुसार भारत में 6.2 करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते हैं। कार्ति ने कहा कि विश्व में रैबीज से संबंधित मौतों में से 36 प्रतिशत भारत में होती है। पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम, 2023 लागू होने के बावजूद इसके कार्यान्वयन का असर नहीं हो रहा है।
तत्काल कार्रवाई की जरूरत
कार्ति ने कहा, स्थानीय निकायों के पास इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संसाधन, धन और प्रौद्योगिकी का अभाव है। तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। मैंने स्थानीय निकायों के साथ मिलकर समग्र, मानवीय और वैज्ञानिक समाधान के लिए राष्ट्रीय कार्य बल की स्थापना का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त इस चुनौती से निपटने के लिए समर्पित आश्रय गृह और एक दीर्घकालिक योजना भी होनी चाहिए।
वैसे तो सब नागरिकों की इस पीड़ा को हर मंच पर प्रभावी रूप से उठाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि अगर संसद और विधानसभाओं के साथ ही नगर निगमों में पार्षद भी इस मुददे पर आवाज उठाएं और इसके समाधान की मांग करें तो यह बात विश्वास से कही जा सकती है कि थोड़े से प्रयास कष्टदायक बनी आवारा जानवरों की समस्या का कोई समाधान निकलवा सकती है। वैसे तो यह बहुत बड़ा मुददा है लेकिन सब मिलकर इस पर विचार करेंगे तो कोई ना कोई समाधान निकलेगा जिससे नागरिक भी राहत पाएंगे और किसी की धार्मिक भावनाएं भी आहत नहीं होंगी।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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