Date: 24/11/2024, Time:

महिलाओं के उत्पीड़न से संबंध मामलों पर अंकुश लगाने के लिए गहन समीक्षा के बाद हो ठोस निर्णय

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अप्रैल 2022 में दक्षिण मुंबई में एक महिला का हाथ पकड़ने और उसे आंख मारने का दोषी पाए गए 22 वर्षीय कैफ फाकिर को मानते हुए उस पर 15 हजार रूपये का बॉण्ड भरने और सक्षम अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर उसके समक्ष प्रस्तुत होने की सजा सुनाई गई है। खबर के अनुसार मुंबई की एक अदालत ने 22 साल के एक युवक को एक महिला की ओर आंख मारकर और उसका हाथ पकड़कर उसकी शील भंग करने के आरोप में दोषी ठहराया है, लेकिन उसकी उम्र और उसके किसी आपराधिक रिकॉर्ड ना होने को देखते हुए उसे कोई सजा देने से इनकार कर दिया है।
मजिस्ट्रेट आरती कुलकर्णी ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी मोहम्मद कैफ फाकिर की तरफ से किए गए अपराध के लिए आजीवन कारावास से कम की सजा नहीं मिलनी चाहिए, लेकिन उसकी उम्र और उसके किसी आपराधिक रिकॉर्ड ना होने को देखते हुए उसे परिवीक्षा का लाभ दिया जाना चाहिए। यह आदेश 22 अगस्त को पारित किया गया।
अदालत ने कहा कि महिला को हुई मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन आरोपी को सजा देने से उसका भविष्य और समाज में उसकी छवि प्रभावित होगी। अदालत ने आरोपी फाकिर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की शील भंग करना) के तहत दोषी ठहराया। इस मामले में अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी फकीर को 15,000 रुपये का बांड भरने के बाद रिहा किया जाए और उसे बुलाए जाने पर परिवीक्षा अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया।
बायकुला पुलिस स्टेशन में अप्रैल 2022 में दर्ज हुआ था केस
बताते चलंे कि दक्षिण मुंबई के बायकुला पुलिस स्टेशन में अप्रैल 2022 में दर्ज शिकायत के अनुसार, महिला ने एक स्थानीय दुकान से किराने का सामान मंगवाया था और उसी दुकान पर काम करने वाला आरोपी उसे सामान देने उसके घर आया था। इस दौरान आरोपी ने महिला से एक गिलास पानी मांगा और जब वह उसे ग्लास का पानी दे रही थी, तो उसने कथित तौर पर उसके हाथ को गलत तरीके से छुआ और उसे आंख मारी। इसके उसने किराने का सामान का बैग देते समय दूसरी बार उसके हाथ को छुआ और फिर से उसे आंख मारी, उसने आरोप लगाया।
आरोपी ने कहा- अपमान करने का नहीं था इरादा
इस वारदात के जब महिला ने शोर मचाया, तो आरोपी मौके से भाग गया। इसके बाद महिला ने अपने पति को घटना के बारे में बताया और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। आरोपी ने दावा किया कि उसने गलती से महिला का हाथ छू लिया था और उसका महिला का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। अदालत ने कहा कि घटना के समय केवल पीड़िता और आरोपी ही मौजूद थे, फिर भी साक्ष्य और महिला का बयान आरोपी की संलिप्तता को साबित करने के लिए पर्याप्त मजबूत थे।
अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की शील भंग करना) का दोषी तो उसे माना लेकिन उसकी उम्र और इतिहास को देखते हुए उसे इस मामले में दी जा सकने वाली उम्रकैद की सजा ना देकर मानवीय दृष्टिकोण अपनाया गया जो एक अच्छी शुरूआत कह सकते हैं।
दुनिया की आधी आबादी मातृशक्ति की गरिमा और सम्मान और वो भयमुक्त वातावरण में सांस ले सके इसके लिए सुरक्षा उपाय छेड़छाड़ की भावना रखने वालों के इंतजाम किए जाने चाहिए और उन्हें लागू किया जाना वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है। लेकिन जिस प्रकार छोटी बच्चियों से लेकर वृद्धाओं से दुष्कर्म यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ की खबरें मिलती है उनमें जिस प्रकार से बढ़ावा होने की बात सामने आ रही है उसे देखते हुए कुछ लोगों की इस राय से मैं भी सहमत हूं कि सरकार को इस बारे में ऐसे पुख्ता नियम बनाने चाहिए जिनसे इन घटनाओं पर रोक लग सके और अदालतों द्वारा जो इसमें फैसले दिए जाते हैं उन पर और ज्यादा विचार मंथन किया जाना चाहिए। मैं अदालती फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करता लेकिन लोकतंत्र में सबको बोलने और अपनी राय रखने का अधिकार है इसलिए जनमानस की जो सोच है मैं उसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से जुड़ा होने के चलते जनता तक पहुंचाना अपना फर्ज समझता हूं। इसलिए आंख मारना या हाथ पकड़ना ऐसे मामलों को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए और मुंबई के इस मामले में महिला जज द्वारा काफी संयम बरतते हुए फैसला दिया गया है लेकिन फिर भी यह कहा जा सकता है कि अगर किसी भी मुददे पर ज्यादा कार्रवाई शुरू हो जाती है तो लोगों में उसका डर समाप्त हो जाता है इसके उदाहरण के रूप में निर्भया कांड के बाद बने सख्त नियमों के बाद हो रहे ऐसे मामलों को देखा जा सकता है क्योंकि जितने नियम बन रहे है उतने ही जानकारों के अनुसार केस बढ़ रहे है। माता बहन सुरक्षित रहे यह हर कोई चाहता है। मानव जीवन इन्हीं की सहन शक्ति के कारण मिल पाता है। इसलिए ऐसे मामलों की जांच उपरांत जनमानस में राय शुमारी कराकर ठोस निर्णय ऐसी घटनाओं को रोकने का वक्त अब आ चुका है और इससे बचा नहीं जा सकता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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