मेरठ 03 मार्च (प्र)। गढ़ रोड़ से मंगल पांडे नगर जाने वाले मार्ग पर झनकार होटल के निकट विद्या पीठ के नाम से खुला आईआईटी जेई की तैयारी कराने के लिए कोचिंग सेन्टर की फ्रेंचाईजी आजकल चर्चाओं में है। क्योंकि जानकारों का कहना है कि यह जिस भवन में खुली है वो पूर्ण रूप से सरकार की निर्माण नीति के विपरित और सभी नियमों का उल्लघंन कर बनी है। लेकिन लोगों को ताज्जुब इस बात का है कि आवास विकास के अधिकारी जो सेन्ट्रल मार्किट की दुकानों को तोड़ने के लिए कार्रवाई करने के साथ साथ समाचार पत्रों में ब्यान देकर अपनी तीसमारखाई दिखा रहे है उनकी जानकारी में उक्त अवैध निर्माण कैसे हुआ। बताते है कि ना तो इसमें साढ़े सात फिट की पट्टी छोड़ी गई और ना ही पार्किंग की जगह हम किसी भी अवैध निर्माण करने वालों के समर्थक तो नहीं है लेकिन आवास विकास के अधिकारियों की इस दोहरी नीति के पक्षधर भी नहीं जिससे सरकार के प्रति असंतोष उत्पन्न होता हो। क्योकि एक तरफ तो अवैध निर्माणों और घरेलू भूमि पर कार्मशियल निर्माण बताकर सेन्ट्रल मार्किट के व्यापारियो को तो नोटिस दिये जा रहे है लेकिन अभी तक जिन अधिकारियों की उपस्थिति में उक्त निर्माण हुए उनमें से किसी के विरूद्ध भी कोई कार्रवाई करने का मुद्दा सामने नहीं आया है। जबकि सब जानते है कि अकेले व्यापारियों की मर्जी से रिहायशी भूमि पर कार्मशियल निर्माण नहीं हो सकते इसमें विभागीय अफसरों की मिलीभगत अवश्य होती है। इसका जिता जागता उदाहरण मंगलपांड़े नगर का यह विद्यापीठ जिस ईमारत में खुला है उसे देखा जा सकता है।
स्मरण रहे कि यह ईमारत एक दिन में बनकर तैयार नहीं हुई होगी तो जितना समय लगा होगा उस दौरान स्थानीय अपर आवास आयुक्त और चीफ इंजीनियर तथा क्षेत्र के अवैध निर्माण रोकने से संबंध अफसर क्या कर रहे थे। पर कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह सब क्षेत्र के अवैध निर्माण से संबंध अफसर की मिलीभगत से उनकी सह पर हुआ। बताया जा रहा है कि पूर्व में भी जब यह बन रहा था तो कई बार आवास विकास के अफसर मौके पर देखे गये। लेकिन अवैध निर्माण बनता रहा और अब फिजिक्स वाले अलख पांड़े की संस्था विद्यापीठ का कोचिंग सेन्टर खुल गया। चर्चा है कि अलख पांड़े फिजिक्स वाला एक ईमानदार प्रोफेसर है उसकी ईमानदारी पर फिल्म भी बन चुकी है लेकिन कोचिंग के स्थानीय संचालक ने इस अवैध निर्माण में उसकी शाखा खोलकर उसे भी बदनाम करने की कोशिश की है। यहां कोचिंग किस प्रकार से दे रहे होंगे उसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि गलत बनी ईमारत उन्हें क्या संदेश देगी। क्योंकि एक कहावत है कि जैसा खावे अन्न वैसा हो जावे मन आप जैसे माहौल में रहेंगे वैसी ही सोच बनती रहेगी। पाठक अंदाज लगा सकते है कि आवास विकास के अधिकारी और माल कमाने में लगे कुछ शिक्षा के व्यापारी राष्ट्र निर्माण में योगदान की शिक्षा ऐसे माहौल में किस प्रकार देंगे। कुछ माह पहले एक खबर पढ़ी थी कि आवास विकास के अफसरों ने एक छोटा सा संस्थान सील किया था कि यह अवैध निर्माण है। तो इतना बड़ा अवैध निर्माण अब उन्हें क्यों नहीं दिखाई दे रहा है। फोटो को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है कि ईमारत और उसके बाहर खड़े वाहन आवागमन को किस प्रकार से प्रभावित कर रहे है।