अंग प्रत्यारोपण हेतु स्वास्थ्य और न्याय विभाग द्वारा विवरण के साथ नियमावली बनाई गई है। जिसके तहत बेटा बेटी पत्नी भाई को कोई भी अंगदान करना है तो कुछ नियमों का पालन करना होता है।
इस मामले में विभाग और सरकार दोनों गंभीर हेै। समय समय पर छापेमारी कर कार्रवाई होती है। जैसा कि सब जानते हैं कि एक वर्ग जिसे सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है चाहे किसी की जान जाए या जेल जाना पड़े या पिटना पड़े इन्हें किसी की चिंता नहीं होती। कई तो नाम तो कमाना चाहते हैं लेकिन ऐसे मामलों में पारदर्शिता बरतने को तैयार नहीं है।
पिछले दिनों समाचारों की सुर्खियों में रहे किडनी कांड और अदालत के आदेश पर कुछ डॉक्टरों के खिलाफ किडनी चुराने का मुकदमा दर्ज हुआ। दो तीन दिन तो चर्चाओं में रहा लेकिन अब संबंधित समाचार नजर नहीं आते और चर्चा भी नहीं होती। मामला झूठा है या सच्चा पाठक उसकी असलियत जानने के इच्छुक रहते है। कुछ पाठक मौखिक चर्चा करते दिखाई दिए कि बुलंदशहर किडनी कांड के दोषी बागपत रोड के अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई।
दूसरे का कहना था कि धीरे धीरे फाइलों में दबकर मामला गुम हो सकता है। प्रयास किया तो पता चला कि डॉक्टरों के संगठन के पदाधिकारियों को भी आरोपी डॉक्टरों के नाम नहीं पता। बताया जाता है कि जो दोषी ठहराए जा रहे हैं वो बोलने को तैयार नहीं है। संबंधित अफसर भी खामोश है। और इतना बड़ा कांड होने के बाद भी अभी तक सीएमओ द्वारा पत्रकार सम्मेलन बुलाकर स्थिति को स्पष्ट नहीं किया गया जबकि हर बात जाने का अधिकार जनता को है। दूसरी तरफ प्रमुख नागरिक का कहना है कि चांदी के जूते में बड़ा दम है। कोरोना में केएमसी आदि अस्पतालों में मजिस्ट्रेट के छापों में निशुल्क इलाज के संदर्भ में भर्ती सौ से ज्यादा नाम थे जब अंदर देखा को अंगुलियों में गिनने लायक मरीज नहीं थे। यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है कि जो फर्जी मरीज भर्ती किए गए थे उनके पीछे अस्पताल संचालक की क्या सोच रही होगी। हमारी किसी के प्रति दुर्भावना नहीं है लेकिन जनहित में अफसरों की जिम्मेदारी है कि वो आम आदमी को यह बताना चाहिए कि जो कोरोना में फर्जी भर्ती थे और अब किडनी प्रकरण में दोषी ठहराए जा रहे हैं उसमें क्या हो रहा है और अब तक क्या कार्रवाई की गई। आगे क्या हो सकता है। जो नजर आता है कि घटना में क्या हुआ ना तो जांच में पता चलता है ना आरोपों का।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कमिश्नर साहब व डीएम दें ध्यान! किडनी प्रकरण दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है, कोरोना में फर्जी भर्ती प्रकरण में क्या हुआ जनता को भी तो पता चले
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