asd जाट सभा के अध्यक्ष का सराहनीय निर्णय, मृत्युभोज के बजाय शिक्षा संस्थाओं मंदिरों और गौशालाओं को दान और गरीब की बेटी की शादी के लिए दिया चेक

जाट सभा के अध्यक्ष का सराहनीय निर्णय, मृत्युभोज के बजाय शिक्षा संस्थाओं मंदिरों और गौशालाओं को दान और गरीब की बेटी की शादी के लिए दिया चेक

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आर्थिक तंगी के इस युग में तेहरवीं मृत्युभोज और शादियों में बढ़ चढ़कर दिया जाने वाला दहेज समाज में काफी लोगांे के लिए परेशानी का सबब बन रहा है क्योंकि एक दूसरे की देखा देख भव्य मृत्यु भोज और बढ़ा चढ़ाकर दहेज दिए जाने के चक्कर में कई परिवार तो अपना घर ही खो बैठते हैं या जीवन भर के लिए कर्जदार हो जाते हैं और इन कुरीतियों को दूर किए जाने की आवाज तो चारों तरफ से समय समय पर आती रहती है लेकिन इसे आम आदमी की इच्छाशक्ति और सोच में कमी या कुछ मठाधीशों पर दबाव जो भी कहें आसानी से इससे छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। लेकिन मुजफ्फरनगर जनपद के जाट महासभा के अध्यक्ष सिसौली निवासी धर्मवीर बालियान द्वारा लिया गया निर्णय मृत्युभोज की बजाय गरीब की बेटी की शादी और स्कूलों मंदिरों व गौशालाओं को दान दिया जाना सराहनीय कदम तो है ही उनके इस प्रयास की प्रशंसा भी हो रही है। एक खबर के अनुसार एक किसान की तेरहवीं में मृत्युभोज का आयोनजन न कर उसमें होने वाले खर्च को गरीब बेटी की शादी, नगर पंचायत को डेड बाडी फ्रीजर और तीन कालेजों समेत पांच संस्थाओं को पंखे दिए गए।
खबर के अनुसार जनपद जाट महासभा के जिलाध्यक्ष सिसौली निवासी धर्मवीर बालियान के पिता 85 वर्षीय चौधरी शीशपाल सिंह का 15 सितंबर को बीमारी के चलते निधन हो गया था। बीते रविवार को उनकी तेरहवीं थी। सुबह हवन के बाद प्रसाद वितरण हुआ लेकिन मृत्युभोज का आयोजन नहीं किया गया। इसके बदले स्वजन ने कस्बे की गरीब कन्या की शादी के लिए उसके स्वजन को एक लाख रुपये का चेक दिया। सिसौली ग्राम पंचायत को बाडी फ्रीजर दान किया। सिसौली डिग्री कालेज, राजकीय इंटर कालेज सिसौली, वैदिक इंटर कालेज सिसौली, आर्य समाज मंदिर लालूखेड़ी और शुकतीर्थ स्थित गोशाला के लिए 10-10 पंखे दिए गए। गोशाला के लिए 51 हजार रुपये की धनराशि भी दी गई। भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि अन्य लोग भी इससे प्रेरणा लें।
मुझे लगता है कि समाज सुधार में लगे संगठनों और उनके पदाधिकारियों को धर्मवीर सिंह बालियान का समारोह आयोजन कर सम्मान करना चाहिए और सरकार को भी ऐसी सोच वाले लोगों की प्रशंसा करनी चाहिए क्योंकि मृत्युभोज व दहेज जैसी कुप्रथाओं से ऐेसे लोगों को आगे बढ़ाकर छुटकारा मिल सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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