प्रयागराज महाकुंभ को लेकर पिछले कई वर्षो से चल रही तैयारियां बीते एक साल से तो चरम पर थी। मुख्यमंत्री से लेकर विधायक और सांसद व मंत्री तक मेला क्षेत्र का दौरा कर रहे थे। अफसरों का यह हाल था कि मुख्य सचिव और डीजीपी से लेकर प्रयागराज के डीएम एसएसपी निरंतर तैयारियों पर निगाह लगाए हुए थे। बाकी जो अफसर यहां तैनात किए गए थे वो अपना काम कर ही रहे थे।
महाकुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर 22 में टेंट सिटी जस्ट ए शिविर के 15 कॉटेज गत बृहस्पतिवार को जलने के बाद पता चला कि इसे बिना अनुमति बसाया गया है। अब सभी अधिकारी अपनी जिम्मेदार से पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं। मेला और फूलपुर एसडीएम इस पर कार्रवाई तक करने को तैयार नहीं हैं। यही नहीं, आगजनी की घटना के 24 घंटे बाद भी जांच शुरू नहीं हो सकी है।
टेंट सिटी में अब भी 130 लोग ठहरे हुए हैं। श्रद्धालुओं को संगम तक लाने-ले जाने के लिए एक दर्जन गाड़ियां हैं। शिविर के बुकिंग एग्जीक्यूटिव राधेश्याम ने टेंट सिटी बसाने वाली कंपनी की देश में 25 संपत्तियां होने की जानकारी दी। स्थानीय लोगों के मुताबिक, सेक्टर-22 से कुछ ही दूर कछार पर इस टैंट सिटी को बसाने का काम नवंबर 2024 में शुरू हुआ था। इसे 20 बीघा जमीन पर बसाने में दो महीने लगे। इस दौरान अधिकारी चुप्पी साधे रहे और अब कार्रवाई से पल्ला झाड़ रहे हैं। बता दें कि कॉटेज जलने के बाद झुंसी पुलिस ने ही बताया कि यह टेंट सिटी अवैध है।
अफसर एक-दूसरे पर थोप रहे जिम्मेदारी
छतनाग गांव महाकुंभ मेले का हिस्सा है, लेकिन सेक्टर-22 के मजिस्ट्रेट पीनाकमणि द्विवेदी का कहना है कि अवैध टेंट सिटी का मेला प्रशासन से लेना-देना नहीं है। यह सेक्टर-22 से छह किमी दूर है। इसका प्रशासन फूलपुर तहसील के पास है। फूलपुर एसडीएम दिग्विजय सिंह का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी मेला प्रशासन की है। वहीं, एसओ झुंसी उपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अवैध टेंट सिटी को लेकर कोई तहरीर नहीं मिली है।
बीते दिनों मेले में गीता प्रेस के पंडाल में आग लगी और अब इतनी बड़ी भगदड़ मची। इतने बड़े मेले जहां करोड़ों लोग जुटे हों ऐसी घटनाएं हो जाना कोई बड़ी बात नहीं कही जा सकती। लेकिन इतनी तैयारियों और सख्ती के बाद मेला क्षेत्र में अवैध रूप से टेंट सिटी कैसे बस गई। यह सरकार के लिए सोचने का विषय है।
कछार क्षेत्र में सेक्टर 22 के अंदर बीस बीघा जमीन पर बसी ये टेंट सिटी जस्ट ऐ शिविर के 15 कॉटेज में आग नहीं लगती तो अफसरों की लापरवाही और अवैध रूप से बसी इस कॉलोनी का पता भी शायद किसी को नहीं चलता। मुख्यमंत्री जी आपके भरपूर प्रयासों के बावजूद दो दिन महीने का समय लगकर बसी इस कॉलोनी के बारे में फूलपुर और मेला एसडीएम भले ही एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे और एसओ कह रहे हो कि अब तक नहीं आई तहरीर लेकिन इससे अधिकारियों की अवैध निर्माणों को बढ़ावा देने की प्रवृति के संकेत मिलते हैं। इसे रोकने के लिए ना तो फूलपुर और ना मेला एसडीएम को फुर्सत नहीं थी। पूरे प्रदेश में अब अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी मेला क्षेत्र को दी गई है। इस पर ना थानेदार खरे उतरे ना एसडीएम। यह भी पता चल रहा है कि कुछ अफसरों की मेहरबानी से किस प्रकार मेले की व्यवस्थाओं में कमियां रही होंगी।
गीता प्रेस के कॉटेज में आग और भगदड के बाद जहां तक खबरें मिलती है। कई की जांच चल रही है। असलियत तो खुलकर सामने आ ही जाएगी। मगर एक अच्छा संदेश देने के लिए कुछ जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। अगर इतने महत्वपूर्ण मामले में भी लापरवाही और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की कोशिश की संभावना की परिधि में आते हैं तो उसे ठीक नहीं कहा जा सकता।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
सीएम साहब! कुंभ में कैसे बस गई अवैध बस्ती, देना होगा ध्यान
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