asd अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर का दावा, 20 दिसंबर को अगली सुनवाई

अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर का दावा, 20 दिसंबर को अगली सुनवाई

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अजमेर 29 नवंबर। राजस्थान में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की ऐतिहासिक अजमेर दरगाह को लेकर नया विवाद सामने आया है। हिंदू सेना ने एक याचिका दाखिल करते हुए दावा किया है कि दरगाह संकट मोचन महादेव मंदिर के ऊपर बनाई गई है। इस पर अजमेर वेस्ट सिविल कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार करते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, दरगाह कमेटी, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने मंदिर होने का दावा करते हुए तीन आधार पेश किए हैं।
1) इतिहास का उल्लेख
1911 में अंग्रेज़ी शासन के दौरान अजमेर नगर पालिका के कमिश्नर रहे हरबिलास सारदा की किताब “अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव” में दावा किया गया है कि दरगाह एक शिव मंदिर के ऊपर बनी है।
2) संरचना का विश्लेषण
विष्णु गुप्ता का कहना है कि दरगाह की दीवारों और दरवाजों पर हिंदू मंदिरों की नक्काशी देखी जा सकती है।
3) स्थानीय परंपराएं

विष्णु गुप्ता का दावा है कि स्थानीय लोग और उनके पूर्वज बताते रहे हैं कि यहां पहले एक शिवलिंग स्थापित था। गुप्ता ने तहखाने की जांच और मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति देने की मांग की है। उनका कहना है कि तहखाने को बंद कर दिया गया है और इसके खुलने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।

अजमेर शरीफ दरगाह के उत्तराधिकारी और ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने याचिका को “सस्ती लोकप्रियता का स्टंट” करार दिया। उन्होंने कहा कि दरगाह का 850 साल पुराना इतिहास है और ऐसा कोई तथ्य नहीं है जो इसे मंदिर बताता हो। उन्होंने 1911 की किताब की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाया और केंद्र सरकार से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को मजबूत करने की अपील की।

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