आज हम विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मना रहे हैं। भारतीय मानक ब्यूरो की गाजियाबाद शाखा कार्यालय द्वारा इस अवसर पर सोने की प्रमाणिकता को जांचने के लिए एचयूआईडी कोड देखने की सलाह दी गई है। तथा हॉल मॉर्क है तो आभूषण 14, 16 ,18, 20, 22, और 24 कैरेट में उपलब्ध होना बताया जाता है। इसकी प्रमाणिकता को एप के माध्यम से जांचा जा सकता है। उपभोक्ता दिवस का जब नाम आता है तो हमें लगता है कि हमारे अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रयास हो रहे हैं। इसलिए भले ही विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता हो मगर सही तो यह है कि वर्तमान समय में हर क्षेत्र में जहां तक मौखिक चर्चा से सुनने और देखने को मिलता है। उपभोक्ता हितों पर कुठाराघात हो रहा है। कई लोग हॉलमार्क और अन्य माध्यमों में भी तकनीकी खराबी करने की कोशिश करते हैं। उसी प्रकार क्योंकि उपभोक्ता हर क्षेत्र में संबंध है। मगर सरकार द्वारा हर नागरिक के उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए जो अधिकारी तैनात किए गए हैं। नागरिकों की बात से मैं भी सहमत हूं कि उनके द्वारा अपनी जिम्मेदारी सही नहीं निभाई जा रही है। शायद इसी कारण मिलावटी सामान पकड़े जाने और उपभोक्ताओं के साथ धोखा जैसे चीनी सामान और स्वदेशी पर विदेशी की मोहर लगाकर बेच रहे हैं। जो सुविधाएं सरकार की ओर से उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। वो भी सही प्रकार से नहीं मिल पा रही है। इसके उदाहरण के रूप में अच्छी सड़कें सफाई पथ प्रकाश आदि की कमियों को देखा जा सकता है। मेरा मानना है कि हर जिले में उपभोक्ता हितों के लिए डीएम की अध्यक्षता में नागरिकों की एक कमेटी बनाई जाए जो उपभोक्ता हितों का दोहन करने वालों का पता कर डीएम को अवगत कराएं और वो अपने स्तर से उपभोक्ताओं के हित में माहौल बनाने का प्रयास करें तभी उपभोक्ताओं को उनके अधिकार प्राप्त हो सकते हैं। वर्तमान में तो यह कहने में कोई हर्ज महसूस नहीं करता हूं कि अधिकारी इस विषय को अपनी कमाई और ऐशपरस्ती तथा बैंक बैलेंस बढ़ाने में लगे रहते हैं। इसीलिए बाजारों में खुलेआम बिकता है नकली और मिलावटी सामान। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अधिकारियों को सबकुछ पता होता है लेकिन वह कार्रवाई नहीं करते। मुझे भी लगता है कि ऐसा हो सकता है। यह बातें गलत नहीं है। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की भावनाओं के तहत उपभोक्ता अधिकारी सुरक्षित करने हेतु कुछ अन्य सकारात्मक कदम भी जनप्रतिनिधियों द्वारा भी उठाए जाने चाहिए। क्योंकि यह वक्त की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है।
उपभोक्ता अधिकार संरक्षण के लिए डीएम की अध्यक्षता में बने नागरिकों की कमेटी
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