देश में मेहनत काबिलियत और काम के दम पर निरंतर आगे बढ़ रहे उद्योगपति आज अपने क्षेत्र में पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इसे लेकर समय समय पर सरकार और नागरिक इनकी प्रशंसा भी करते रहे हैं क्योंकि इनके द्वारा धर्म कर्म के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी समाजसेवा के दृष्टिकोण से काफी काम किया जा रहा है। इस मामले में रिलायंस परिवार सहित शिवनादर फाउंउेशन और अन्य उद्योगपतियों को देखा जा सकता है। एक खबर पढ़ने को मिली कि 20 करोड़ वेतन लेंगे अनंत अंबानी अन्य सुविधाएं अलग। बहुत अच्छा है कि काम का नाम इनाम और दाम तीनों मिल रहे हैं। अपने शेयरधारकों को यह कितना लाभ दे रहे हैं वो एक अलग बात है। लेकिन कुछ साल पहले प्रधानमंत्री जी के सुझाव पर यह परिवार अपनी कमाई का पांच प्रतिशत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए निकाल रहा बताया जाता है। मैं ना तो इस स्थिति में हूं कि इन्हें सीख दे सकूं या इनके कार्यों की समीक्षा कर सकू। लेकिन जिस प्रकार ये समाजहित में काम करते हैं उसे देखकर और देश में विभिन्न परिस्थितियों को दृष्टिगत रख मुझे लगता है कि यह जो दान करते हैं वह अच्छा है लेकिन प्रधानमंत्री के कहे अनुसार अपनी कमाई से पांच प्रतिशत के अतिरिक्त अगर नागरिकों के हित में यह थोड़ा सा हिस्सा और निकालकर महानगरों में अस्पतालों शिक्षा संस्थान धर्मार्थ कार्यों के साथ ही अगर यह आदिवासी क्षेत्रों पहाड़ों में दूर दराज के गांवों और जनसुविधाओं से दूर मलिन बस्तियों में स्कूल अस्पताल और जरूरतमंदो के लिए अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं तो इनका समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
अभी एक खबर पढ़ने को मिली कि उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक गांव में सुविधा ना होने के कारण अपनी 13 साल की बेटी को ग्रामीण सुरेश सिंह बिष्ट आठ किमी पैदल कंधे पर लादकर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए सड़क तक लाया। बताते हैं कि इस 120 परिवार वाले गांव में कोई सुविधा नहीं है। यहां के बच्चे दस किमी का सफर तय कर जीआईसी चौमेल में जाते हैं। कई बार यहां सड़क और अन्य सुविधाओं की मांग नागरिक कर चुके हैं लेकिन सरकार की भी अपनी एक सीमा है। आजादी के बाद देश में सुविधाओं का बड़ा अभाव था। जनप्रतिनिधियों के प्रयासों से अब हम काफी अच्छी स्थिति में हैं लेकिन दूर के गांवों और आदिवासी क्षेत्रों में आज की स्थिति का बखान कर पाना संभव नहीं है। इसलिए अगर रिलायंस बंधु और अन्य उद्योगपति थोड़ा ध्यान दें तो इन स्थानों पर रहने वाले सुविधाविहीन नागरिकों के लिए भी जीवनयापन और शिक्षाा व स्वास्थ्य की कुछ सुविधाएं उपलब्ध हो सकती है। मेरा मानना है कि दुनिया में यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में जो विकास यात्रा योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई है अगर वो और उत्तराखंड के सीएम पीएस धामी सहित सभी प्रदेशों के सीएम देश के प्रमुख उद्योगपतियों से आग्रह कर ऐसे क्षेत्रों में कुछ योजनाएं शुरू कराएं तो शहरों की भांति इन ग्रामों के लोग भी चिकित्सा और शिक्षा के दम पर आगे बढ़ सकते हैं। फिर किसी बाप को अपनी बेटी के इलाज के लिए कंधे पर आठ किमी लादकर नहीं ले जाना होगा।
कई बार सुनने को मिलता है कि देश के उद्योगपति और धार्मिक संस्थान चाहे तो एक दिन में देश को सभी ऋणों से मुक्त करा सकते हैं और आए दिन मीडिया में सुनने को मिलता है कि फलां मंदिर में इतना धन और सोना है उसे ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि भगवान की इस संपत्ति में से अगर 25 प्रतिशत निकालकर ठेट ग्रामों और आदिवासी क्षेत्रों के लोगों की मदद में लगा दें तो भी शायद देश की आबादी कठिनाईयों से मुक्त और सुविधाएं प्राप्त करने लगेंगे। मंदिरों का पैसा वैसे भी भगवान का है और भगवान सबके हित की सोचते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। मुझे लगता है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी अगर उद्योगपतियों और मठ मंदिरों के संचालकों से इस बारे में अपील करें और धन की बंदरबाट रोकने के लिए एक कमेटी बना दें तो इस देश का गरीब मजदूर व्यक्ति जो गरीबी की सबसे नीचे की रेखा में जी रहा है उसका भी भला हो सकता है। वर्तमान में समाज के सबसे निचले स्तर में शुमार कितने ही लोग विधानसभा और लोकसभा में चुनाव जीतकर पहुंच चुके हैं और ऐसी महान शख्शियतों में शामिल जनप्रतिनिधि लोगों की कठिनाईयों को समझ उन्हें परेशानी से मुक्त कराने के लिए अकेले या सामूहिक प्रयास करें तो सरकार का हर आदमी को साक्षर और स्वस्थ बनाने भोजन उपलब्ध कराने का सपना आसानी से साकार हो सकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी करें आग्रह! मठ मंदिर रिलायंस जेैसे उद्योगपति थोड़ा सा ध्यान सुविधाविहीन आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों की ओर ध्यान देकर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंध कराएं तो ?
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