Date: 22/11/2024, Time:

मुख्यमंत्री दें ध्यान: कौन कर रहा है रजवाहों को पाटने की कोशिश, किसान और जनहित तथा सरकारी योजनाओं को नजरअंदाज कर, इसके पीछे किसका कौन सा स्वार्थ छिपा है

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केंद्र व प्रदेश सरकारें किसानों की भलाई और लाभ देने व उन्हें परेशानियों से बचाने के लिए काफी प्रयास कर रही हैं। उसके बावजूद किसान भाई यह कहते नहीं थक रहे कि सरकार बातें ज्यादा काम कम और जिम्मेदार योजनाओं को लाभ पहुंचाने में धोखाधड़ी कर रहे हैं। यह तो रही सरकार के काम और किसानों के कथन की बात लेकिन बच्चा बच्चा जानता है कि फसल लगाने के समय नहर और रजवाहों से मिलने वाला पानी फसलों के लिए वरदान होता है। इसके बावजूद कुछ लोगों द्वारा रजवाहों को अनुपयोगी और निष्प्रायोजित बताकर उस पर सड़क बनाने की बात की जा रही है। जिसे लेकर किसानों और नागरिकों में रोष और असंतोष भी नजर आ रहा है। इनका कहना है कि अगर रजवाहे बंद किए जाते रहे तो कुछ समय बाद किसानों पर जमीन और नहरें दुर्लभ हो सकती है।
ऐसी चर्चा करने वालों का कहना है कि कुछ अवैध निर्माणकर्ता कच्ची कॉलोनी काटने वाले और भूमाफिया अपने राजनीतिक संबंधों का लाभ उठाकर पहले किसानों और खेती करने वाले अन्य लोगों की जमीनें औने पौने दाम में खरीदते हैं और फिर सरकारी नीति के खिलाफ जाकर कुछ अधिकारियों से मिलकर नहर पर अवैध रूप से पुल बनाते हैं और किसान से ली गई भूमि 30 से 50 हजार रूपये गज तक में प्लाट काटकर या मकान बनाकर करोड़ों में बेचे जाते है। किसान ठगा सा रह जाता है और इस काम में लगे लोग संपत्ति बढ़ाने में लगे हैं। मुख्यमंत्री जी अगर ऐसे में रजवाहे पाटकर सड़कें बनाई जाती है तो सरकार की अवैध निर्माण रोकने और कच्ची कॉलोनी ना बनने देने की योजना ठंडे बस्ते में चली जाएगी और जिन भूमाफियाओं को चिन्हित कर सरकार कार्रवाई की बात कर रही है वो अपने मनोरथ में सफल होते रहेंगे और सरकारी जमीन बेचते रहेंगे। मुख्यमंत्री जी नागरिकों और किसानेां की इस बात से मैं भी सहमत हूं कि अगर सरकार को कृषि भूमि बचानी है और किसानों को खुशहाल बनाना है तो बिजली बंबा ही नहीं कहीं के भी रजवाहे पाटकर सड़क नहीं बनने देनी चाहिए। और अगर सड़क की आवश्यकता भी है तो रजवाहे के दोनों ओर सड़कें बनवा दी जाएं या रजवाहे के पास हरित पटटी की जमीन पर अवैध कब्जे हो गए हैं उन्हें तुड़वाकर या जमीन अधिकृत कर सड़कों का निर्माण कराया जा सकता है लेकिन किसी भी रूप में रजवाहे को पाटने नहीं दिया जाना चाहिए। अब यह देखना काम है कि वो भूमाफियाओं कच्ची कॉलोनियां काटने वालों का हित देखती है या किसान का भविष्य। फिलहाल रजवाहा पाटने की खबर हर व्यक्ति के लिए चिंताजनक है। ऐसा प्रयास कौन कर रहा है यह तो नहीं पता चल पाया लेकिन अगर कुछ अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर ऐसी चर्चा चल रही है तो मेरा मानना है कि पीडब्लूडी और सिंचाई विभाग के जो अधिकारी इस योजना में रजवाहे पाटने के प्रयास में भूमिका निभा रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। वरना अगर इसी तरीके से रजवाहे पटते रहे और कृषि भूमि अवैध निर्माणकर्ताओं के हाथों में आती रही तो वो दिन दूर नहीं जब आम आदमी दाने दाने को परेशान हो सकता है। अभी सरकारें आबादी के कुछ प्रतिशत को मुफ्त अनाज उपलब्ध करा रही है। अगर रजवाहे पटे तो 90 प्रतिशत आबादी को फ्री भोजन खिलाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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