Date: 22/12/2024, Time:

मुख्यमंत्री जी दें ध्यान! राखी तिलक कलावे हिजाब को लेकर कहीं कोई बड़ा बवाल ना हो पाए

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आजकल स्कूलों में तिलक लगाने कलावा बांधने आदि पर रोक लगाने की खबरें देश में कहीं ना कहीं से आए दिन सुनने पढ़ने को मिलती है। जहां तक बात करे हिजाब की तो उससे संबंध खबरों की भी कोई कमी नजर नहीं आती है। अब सवाल उठता है कि मुस्लिम भाई कहते हैं कि जब तिलक लगा सकते हैं कलावा बांध सकते हैं केसरिया कपड़े पहनकर आ सकते हैं तो हिजाब पहनकर क्यों नहीं। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने और हिजाब पहनकर आने का विरोध होता रहा है और मामले पर अदालतों में भी चर्चा हो चुकी है।
लेकिन इतना हंगामा होने और कई शिक्षकों को स्कूलों से निकाला जाने और कार्रवाई के बाद भी ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं इस पर खासकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को ध्यान देना होगा क्योंकि संबंधित विभागों के लोग तो लीपापोती करने में ही सारी व्यवस्था तय कर देते हैं और कुछ मामलों में ये मामले कसमसाहट मचाए रखते हैं। नया मामला यूपी के गजरौला क्षेत्र के चडढा इंटर कॉलेज का है। खबर के अनुसार बीते बुधवार को सुबह साढ़े 11 बजे एबीवीपी के कार्यकर्ताआंे ने कालेज के गेट पर नारेबाजी करते हुए आरोप लगाया कि कॉलेज में कलावा राखी बांधने वाले और तिलक लगाने वाले छात्रों के हाथों को प्रताड़ित किया गया। कॉलेज प्रबंधक का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। संचालक मोहसिन ने कक्षा दो के छात्रों को कलावा बांधा और तिलक लगाया तब जाकर मामला शांत हुआ। दूसरी घटना रामपुर के धमौरा राजकीय इंटर कॉलेज की बताई जा रही है। यहां शिक्षिका पर छात्राओं को कलावा बांधकर और तिलक लगाकर आने पर रोक का आरोप है। हिंदू संगठनों के विरोध के बाद प्रधानाचार्य ने शिक्षिका को स्कूल से हटा दिया। जबकि शिक्षिका का कहना है कि आरोप गलत है। उसने ऐसा नहीं किया। दोनो मामले थोड़े हंगामे के बाद निपट गए। अगर बात तिलक कलावे और हिजाब की बात करे तो तिलक कलावे से चेहरा नहीं ढकता है इसलिए इसके विरोध का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। जबकि हिजाब पहनने से चेहरा ढक जाता है। ऐसे में स्कूल में या किसी भी पात्र के अलावा किसी दूसरे के आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। कई बार मतदान के दौरान भी देशभर में इसे लेकर अनबन होने की खबरें मिल चुकी हैं।
मेरा प्रदेश के कानून व्यवस्था बनाए रखने से संबंध अधिकारियों से निवेदन है कि वो जिलों के अफसरों को निर्देश दें कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना हो। तथा शिक्षिका विभाग के अधिकारियों से भी स्कूल मदरसों के संचालकों को भी एक आदेश करे कि ऐसे बिंदुओं पर बड़ा हंगामा होने से पहले स्कूल प्रबंध समिति एक्शन लेकर उन्हें शांत कराएं और शिक्षक ऐसी घटनाओं की पुनरावृति ना होने दें। अगर ऐसी चर्चा सुनाई देती है तो मामले को उछलने से पहले शांत कराए। जब किसी को नौकरी पर रखा जा रहा है तो इस संदर्भ में भी उससे फार्म भरवाया जाए कि वो ऐसे मामलों को लेकर ना विवाद करेंगे और कोई करता है तो उसे रोकेंगे। भयमुक्त वातावरण रहे इसलिए सरकारी नीतियों पर अमल कराया जाएगा। अगर मामला हाथ से निकलता है तो पुलिस अधिकारियों की मदद ली जाएगी। मुख्यमंत्री जी यह किसी से छिपा नहीं है कि कभी कभी छोटी छोटी बातें बड़े बवाल का कारण बन जाती है और आम आदमी इसके लिए सरकार और व्यवस्था को दोषी ठहराने लगता है। इसे किसी भी रूप में सही नहीं कहा जा सकता। इसलिए प्रदेश हित में इन घटनाओं पर रोक लगाने को हर संभव प्रयास करने के अतिरिक्त अफसरों को कार्रवाई के लिए मजबूर किया जाए कि वो पंचायत करने की बजाय निर्णय करे।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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