asd मुख्यमंत्री जी ध्यान दीजिए! शराब के ठेके हटवाने के लिए पांच साल के बच्चे को क्यों जाना पड़ा अदालत

मुख्यमंत्री जी ध्यान दीजिए! शराब के ठेके हटवाने के लिए पांच साल के बच्चे को क्यों जाना पड़ा अदालत

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हर शख्स जानता है कि नशा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही मध्मम और गरीब लोगों की आर्थिक स्थिति भी बिगाड़ रहा है। सरकार को शराब की बिक्री से बड़ा राजस्व मिलता है इसलिए इसके नुकसान से अवगत कराने के साथ ही इसकी बिक्री के लिए भी भले ही चाय की दुकान ना मिले लेकिन शराब का ठेका जरूर उपलब्ध हो जाएगा। स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि स्कूल और धार्मिक स्थानों से कुछ दूरी पर ठेका ना खोलने का नियम होने के बाद भी अधिकारी और ठेका संचालक कहीं भी अपनी दुकान खोलकर बैठ जाते हैं और नियमों को नजरअंदाज कर उनके लाइसेंस भी रिन्यूवल होते रहते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में एलकेजी के पांच साल के छात्र की तरफ से एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें कानपुर चिड़ियाघर के पास स्थित जयपुरिया स्कूल के पास से ठेका हटाने का आग्रह किया गया है।
स्कूल के बगल में खुले ठेके के बाहर आए दिन हो रहे शराबियों के हुड़दंग से तंग एलकेजी में पढ़ने वाले पांच साल के एक बच्चे ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मदद की गुहार लगाई है। कोर्ट ने बच्चे की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए यूपी सरकार से जवाब तलब किया है। पूछा है कि स्कूल के बगल में शराब ठेके का नवीनीकरण हर साल कैसे होता जा रहा है। अदालत 13 मार्च को अगली सुनवाई करेगी।
पांच साल का अथर्व दीक्षित आजाद नगर स्थित सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल में एलकेजी का छात्र है। स्कूल से 20 मीटर की दूरी पर शराब का ठेका खुला है। नियम के मुताबिक ठेका दिन में 10 बजे के बाद खुलना चाहिए, लेकिन अक्सर यहां सुबह छह सात बजे से ही शराबियों का जमावड़ा लग जाता है। लोग नशे में हुड़दंग भी करते हैं। पास में रिहायशी बस्ती है, जहां सैकड़ों लोग रहते हैं।
अधिकारियों ने शिकायत पर नहीं दिया ध्यान
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ के समक्ष अथर्व के अधिवक्ता आशुतोष शर्मा ने कहा कि शराब पीकर हुड़दंग करने वालों से अथर्व न सिर्फ परेशान होता था, बल्कि रास्ते में उसे डर भी लगता था। उसके कहने पर घरवालों ने स्थानीय अधिकारियों से लेकर यूपी सरकार तक कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने परिवार वालों की मदद से जनहित याचिका दाखिल की।
यूपी सरकार की तरफ से दलील दी गई कि यह स्कूल 2019 में खुला है, जबकि शराब का ठेका तकरीबन 30 साल पुराना है। इस पर अदालत ने सरकार से यह बताने को कहा कि स्कूल खुलने के बाद साल दर साल शराब के ठेके का नवीनीकरण कैसे हो रहा है। कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया है।
हो सकता है कि यह याचिका बच्चे के माध्यम से बड़ों के द्वारा कराई गई हो लेकिन सरकार के लिए यह सोचने का विषय है कि बच्चे को क्यों जाना पड़ा कोर्ट। मुख्यमंत्री जी ध्यान दीजिए और ऐसे मामलों की पुनरावृति ना हो इसके लिए अफसरों को निर्देश दिए जाए।

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