Date: 07/09/2024, Time:

मुख्यमंत्री जी ध्यान दें! स्वर्ण ब्रांड तनिष्क कल्याण खाद्य ब्रांड हल्दीराम, बीकानेर आदि नामचीन कंपनियों के शोरूम दे रहे हैं अवैध निर्माण को बढ़ावा, बन रहे हैं जाम का कारण, मानचित्र पास और फर्जी एनओसी के नाम पर

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प्रदेश के मुख्यमंत्री अवैध निर्माणों को रूकवानें और उन पर कार्रवाई के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। तो जिलों में पुलिस प्रशासन नागरिकों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए नई नई योजना बना रहे हैं मगर यह समस्या समाप्त होने की बजाय सुरसा के मुंह की भांति बढ़ती ही जा रही है।
अब यह सवाल उठता है कि सरकार शासन पुलिस के इतने प्रयासों के बावजूद भी जाम और अवैध निर्माण का नासूर क्यों नहीं ठीक हो रहा। मुझे लगता है कि हम जो प्रयास इसके लिए कर रहे हैं वो शायद सही नहीं है। क्योंकि यह लग रहा है कि बीमारी कैंसर की है और दवाई टीबी की दी जा रही हैं। जब तक यह चलेगा हमें नहीं लगता कि आम आदमी को इससे छुटकारा संभव होगा।
सवाल उठता है कि आखिर इसका समाधान क्या है। यह बढ़ता ही क्यों जा रहा है। इस बारे में कुछ जानकारों का यह कथन पूरी तौर पर सही लगता है कि शहर और कस्बों के साथ अब देहात में भी नेशनल कंपनियां जो खुल रही है वो ही अवैध निर्माण को बढ़ावा देने और जाम का मुख्य कारण है। क्योंकि स्वर्ण आभूषण विक्रेताओं की श्रृंखला तनिष्क कल्याण एवं रिलायंस ज्वैल तथा डोमिनोज पीजा हटट पेंटालून पेस्टसाइड एडिडास नाइक लिवाइस यूएस पोलो के साथ साथ बड़ी खाद्य सामग्री के प्रतिष्ठान सागर रत्ना हल्दीराम रिलायंस ट्रेडस आदि ऐसी कंपनियां और प्रतिष्ठान है जिनके उत्पादों की मांग युवाओं में ज्यादा है और बुजुर्ग भी इन कंपनियों के सामान का उपयोग और खाद्य सामग्री का सेवन करने में शान महसूस करते हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है।
तो फिर कोई पूछे कि समस्या कहां है तो इन कंपनियों के अपने शोरूम खोलने के लिए कुछ नियम तो बनाए हैं लेकिन उनका पालन शायद नहीं किया जाता इसीलिए मुख्य मार्गो बाजारों और गली मोहल्लों में रिहायशी जगह पर कमर्शियल शोरूम मानचित्र पास बताकर अवैध रूप से खोले जा रहे हैं। और क्योंकि इन ब्रांड से संबंध सामान जो भी हो वो मार्केट में महंगा बिकता है इसलिए यह कंपनियां मुंह मांगा किराया देती है या किराए इतने तय कर रखे हैं जो सामान्य व्यापारी नहीं दे सकता। इसलिए अब जिसके पास 50 गज जमीन भी है तो वो अवैध निर्माण रोकने से संबंध अधिकारियों से मिलीभगत कर मानचित्र पास का बोर्ड लगाकर शोरूम बना लेते हैं और फिर उसे फर्जी एनओसी बनाकर या कुछ सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से कंपनियों को आवेदन करते समय लगाकर मोटे किराए पर शोरूम उठा देते हैं। क्योंकि इनका निर्माण सड़क पर ही हुआ होता है। रोड बाइडिंग हरित पटटी या सड़क से दूरी नहीं बनाई जाती जिससे आने वाले ग्राहकों की मजबूरी होती है वो कि वाहन सड़क पर खड़ा करें। शोरूम में काम करने वाले कर्मचारियों के वाहन या सड़क पर सामान रखने से यह जाम की समस्या होती है। यह कहा जा सकता है कि बड़ी कंपनियों के प्रतिष्ठानों के शोरूमों के चलते अवैध निर्माण को बढ़ावा और जाम की समस्या बढ़ती ही जा रही है।
मुख्यमंत्री जी अगर वाकई सरकार की भावना के तहत मार्गो को जाम मुक्त कराना और अवैध निर्माण पर रोक लगाना चाहती है तो उसे इनसे संबंध मानचित्र पास की आड़ में अवैध निर्माणों को बढ़ावा देेने वाले अधिकारियों और निर्माण कर्ता के साथ कंपनी के खिलाफ भी बिना लाग लपेट के कार्रवाई करनी होगी। तभी मुझे लगता है कि अवैध निर्माण कम हो सकते हैं और जाम की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी। जन और धनशक्ति की बचत और आम आदमी को राहत मिल सकती है। इसलिए इन कंपनियों के शोरूम संचालकों के खिलाफ दस गुना जुर्माना लगाने और जब तक यह अपने शोरूम सरकारी नीति के तहत नहीं बनाते प्रतिदिन इन पर जुर्माना लगाने की व्यवस्था की जाए। मुझे लगता है तभी समस्या का समाधान आसानी से संभव हो सकता है।
किसी शोरूम को खुलने से रोका भी नहीं जा सकता क्योंकि रोजगार और व्यापार व परिवारों में आर्थिक खुशहाली काम आगे बढ़ने से ही आएगी। इसलिए मुख्यमंत्री जी सिर्फ अवैध निर्माणों पर रोक लगनी चाहिए जिससे हर समस्या का समाधान अपने आप हो सकेगा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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