देश और प्रदेशों में सरकार किसी की भी रही हो लेकिन सभी धर्मों और उसके महापुरूषों को सम्मान देने और किसी के बारे में भी बुरा ना बोलने की परंपरा रही है। जिसे वर्तमान सरकारें भी जहां तक नजर आता है निभाने का प्रयास कर रही है क्योंकि सरकार चाहे केंद्र की हो या प्रदेशों की उसके मुखिया भाईचारा सदभाव शांति और भयमुक्त वातावरण बनाए रखने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यति नरसिंहानंद के बयान के बाद जो बवाल शुरू हुआ वो धीरे धीरे यूपी में तो फैल ही रहा है अन्य प्रदेशों में भी उसको लेकर तनाव होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। बीते दिनों सहारनपुर में पुलिस को पथराव को सामना करना पड़ा तो अलीगढ़ मेरठ के मुंडाली में इसे लेकर तनाव बना हुआ है। ऐसे में जहां कांग्रेस सांसद इकरा हसन द्वारा इंटरनेट पर एक मिनट 22 सेंकेड का वीडियो प्रसारित कर सरकार पर निशाना साधा है वहीं यूपी की पूर्व सीएम बसपा प्रमुख मायावती ने अशांति व तनाव फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। एक खबर के अनुसार गाजियाबाद के लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि डासना मंदिर पर प्रदर्शन करने वाले दस बीस लोगों को पुलिस को गोली मार देनी चाहिए थी। अब विधायक या कांग्रेस सांसद अथवा मायावती जो कह रही हैं वो उनके अपने विचार हैं। पुलिस ने डासना मंदिर की सुरक्षा सख्त करने के साथ ही संवेदश्नशील इलाकों पर निगरानी बढ़ा दी है और थानेदार से लेकर उच्चाधिकारी तक हर परिस्थिति पर निगाह गड़ाएं हैं । ऐसे में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा कहा गया कि किसी भी मत संप्रदाय के देवी देवताओं पर टिप्पणी अस्वीकार्य है लेकिन विरोध के नाम पर अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जहां तक नजर आता है सीएम योगी का कथन सरकार के मुखिया के रूप में बिल्कुल ठीक है। लेकिन लोनी के विधायक का कथन सरकार की नीति के अनुकूल नजर नहीं आता है।
मुख्यमंत्री जी वर्तमान अक्टूबर और नवंबर माह में काफी त्योहार हैं और धार्मिक जुलूस निकल रहे हैं और आगे भी निकाले जाएंगे। ऐसे में मेरठ में एक धार्मिक यात्रा का मुस्लिमों द्वारा किया गया स्वागत एक अच्छी पहल कह सकते हैं लेकिन मुझे लगता है कि सुरक्षा और शांति का माहौल बना रहे इसके लिए जो नियम निर्धारित किए गए हैं उनके तहत शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने और आम आदमी भयमुक्त वातावरण में समय गुजार सके इसके लिए सभी थानेदारों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिए जाएं कि वो सभी धर्मों के सम्मानित लोगों और जनप्रतिनिधियों को बुलाकर इस तनाव को खत्म कराने और शांति व्यवस्था के लिए प्रयास करें। क्योंकि अगर किसी भी प्रकार का तनाव बढ़ता है तो उसे किसी भी रूप में सरकार और शासन के हित में नहीं कहा जा सकता। इससे भाईचारा सदभाव बिगड़ने की संभावनाएं हैं। सवाल यह उठता है कि जब हिंदू समाज को संगठित करने के लिए प्रचारित आरएसएस प्रमुख द्वारा सभी जातियों और संप्रदायों में भाईचारा सदभाव कायम करने हेतु प्रयास शुरू किए गए हैं ऐसे में किसी भी धार्मिक नेता का ऐसा कोई बयान नहीं आना चाहिए जिससे सरकार की सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाली छवि पर विपक्ष को अंगुली उठाने का मौका मिले।
मुख्यमंत्री हमेशा कहत रहे हैं कि हमारे यहां अब दंगे नहीं होते यह बातसही भी है। यह स्थिति बनाए रखने और लोगों में विश्वास बना रहे इसके लिए समाज में तनाव पैदा करने वालों को जनहित में रोका जाना चाहिए। यह वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है। चाहे वह कोई भी हो मगर उसे आम नागरिकों की भावनाएं भड़काने का अवसर भी नहीं दिया जाना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुख्यमंत्री जी प्रदेश में शांति और सदभाव बना रहे धार्मिक आयोजन बिना विघ्न के हो संपन्न
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