पटना 21 अगस्त। 21 अगस्त 2024 यानी आज ‘भारत बंद’ के नाम से देशभर में हड़ताल का आह्वान किया गया है। यह एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल है, जिसमें एससी/एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया जाएगा। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति और राजस्थान के एससी/एसटी समूह इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, बंद के आह्वान के बावजूद सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, कॉलेज और पेट्रोल स्टेशन खुले रहने की संभावना है। बसपा समेत कई पार्टियां इस बंद का समर्थन कर रही हैं।
भारत बंद के दौरान बिहार की राजधानी पटना में भारी बवाल हुआ है. पटना के डाक बंगला चौराहा पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई है. इस दौरन प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा है. पटना में कई जगहों पर भारत बंद का असर दिख रहा है. पटना के महेंद्रू स्थित अंबेडकर छात्रावास के बाहर दलित संगठनों ने सड़क को जाम किया है और आगजनी भी की है. दलित नेता अमर आजाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, वह कहीं से उचित नहीं है और ऐसे में हम मांग करते हैं कि वर्तमान आरक्षण के स्वरूप को 9वी अनुसूची में जोड़ा जाए.
वहीं बिहटा सरमेरा पथ को पुरैणिया के पास भारत बंद के समर्थन में फुलवारी शरीफ विधायक गोपाल रविदास के नेतृत्व में रोड को जाम कर दिया गया है. आरक्षण के नाम पर दलितों के बांटने का नारा लगाते हुए विरोध किया जा रहा है. भारी संख्या में माले कार्यकर्ता रोड पर झंडा लिए हुए उतरे हुए हैं. इनका कहना है कि आरक्षण में बटवारा नहीं होना चाहिए. पहले जिस तरह से आरक्षण मिल रहे थे, उसी तरह से आरक्षण मिलते रहना चाहिए ना कि आरक्षण में भी आरक्षण तय करनी चाहिए. इसी का विरोध को लेकर भारत बंद है .
बताते चले कि पटना में इतना बवाल हुआ कि पुलिस ने लाठीचार्ज कर दी. पटना के डाक बंगला चौराहे पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा. उधर, बिहार के नवादा से लेकर अरवल तक बाजारें बंद हैं और एनएच को जाम कर दिया गया है. इस भारत बंद को राजद, बसपा, जेएमएम और भीम आर्मी समेत कई विपक्षी पार्टियों ने आज के भारत बंद का समर्थन किया है.
बिहार की राजधानी पटना के डिप्टी एसपी अशोक कुमार सिंह ने भारत बंद के दैरान हुए लाठीचार्ज को लेकर सफाई दी है। अशोक कुमार सिंह ने कहा, “यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन नहीं था, कानून-व्यवस्था उनके हाथ में थी. आम लोग यात्रा नहीं कर सकते थे और हमने उन्हें (आंदोलनकारियों को) समझाने की कोशिश की। लेकिन वे नहीं समझे। हमें उन्हें पीछे हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा.