लखनऊ 25 जून। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। अब सरकार की इस योजना के तहत एक लाख रुपये पाने के लिए फर्जीवाड़ा नहीं हो पाएगा। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की बेटियों के हाथ पीले करने को चलाई जा रही मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में जहां सहायता राशि को दोगुना किया गया है। वहीं इस योजना की निगरानी के लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए जा रहे हैं।
यूपी सरकार फर्जीवाड़ा रोकने को अब वर-वधू का शादी के स्थल पर ही बायोमैट्रिक अटेंडेंस को जरूरी कर दिया गया है। इसके बिना आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही आवेदकों को राहत देते हुए पात्रता में मानक को दो लाख रूपये वार्षिक आय की जगह तीन लाख रूपये वार्षिक आय कर दिया गया है। अगर आधार वेरिफिकेशन में लापरवाही सामने आती है तो अफसरों की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसके अलावा विवाह समारोह में अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। योजना के प्रभारी उपनिदेशक आरपी सिंह ने बताया कि विवाह समारोह में मंडलीय उप निदेशक और जिला समाज कल्याण अधिकारियों की उपस्थिति जरूरी होगी। एक जिले के अधिकारी कार्यक्रम वाले दूसरे जिले में ऑब्जर्वर के रूप में नामित कर भेजे जाएंगे। समारोह में किसी भी अनियमितता की स्थिति में ऑब्जर्वर सीधे निदेशालय या मंडलीय उपनिदेशक को रिपोर्ट करेंगे। विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में एक लाख जोड़ों के विवाह का लक्ष्य रखा है।
उपहारों की गुणवत्ता पर खास ध्यानः समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि सरकार का उद्देश्य है कि योजना का लाभ पात्र परिवार आसानी से ले सकें. इसके लिए कई स्तर पर बदलाव किए जा रहे हैं. योजना में आवेदक युगलों को दिए जाने वाले उपहारों की गुणवत्ता और आपूर्ति में पारदर्शिता के लिए अब फर्मों के चयन की प्रक्रिया निदेशालय स्तर से की जाएगी ताकि जिला स्तर पर किसी तरह की अनियमितता न हो.
सभी जोड़ों की बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्यः अब ऑनलाइन आवेदन से पहले कन्या के आधार सत्यापन में लापरवाही पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी. इसके साथ ही विवाह स्थल पर वर-वधू दोनों की बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके. विवाह में दी जाने वाली उपहार सामग्री, जलपान और भोजन आदि के मानक तैयार कर उनका कड़ाई से पालन करवाया जाएगा. पारदर्शिता बनाए रखने के उद्देश्य से अब एक ही स्थान पर 100 या उससे अधिक जोड़ों की शादियों की स्थिति में संबंधित जनपदों के जिलाधिकारी स्वयं मौजूद रहेंगे.
आब्जर्वर की निगरानी में होंगे कार्यक्रमः समारोह में मंडलीय उपनिदेशकों और जिला समाज कल्याण अधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी. एक जनपद के अधिकारी कार्यक्रम वाले दूसरे जनपद में आब्जर्वर के रूप में नामित कर भेजे जाएंगे. समारोह में किसी भी अनियमितता की स्थिति में ये अधिकारी सीधे निदेशालय या मंडलीय उपनिदेशक को रिपोर्ट करेंगे. गौरतलब है कि आर्थिक रुप से कमजोर परिवार की कन्याओं का विवाह समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत संपन्न करवाया जाता है. योजना के प्रभारी उपनिदेशक श्री आर पी सिंह ने बताया कि इस वर्ष लगभग एक लाख जोड़ों का विवाह समाज कल्याण विभाग द्वारा करवाए जाने का लक्ष्य रखा गया है.
अनुदान राशि बढ़ाई गई: इसके पहले इसी साल अप्रैल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ पाने के लिए निर्धारित दो लाख रुपये वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने की आवश्यकता जताई. समाज कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने पात्र नवविवाहित जोड़ों को 51 हजार रुपये के स्थान पर एक लाख रुपये देने का निर्णय लिया. एक लाख रुपये की इस राशि में से 60 हजार रुपये कन्या के बैंक खाते में, जबकि नवविवाहित जोड़े को 25 हजार रुपये के उपहार दिए जाएंगे. शेष 15 हजार रुपये वैवाहिक समारोह में व्यय किए जाएंगे.
लाभ पाने के लिए ये दस्तावेज जरूरी: इस योजना का लाभ उठाने के लिए कन्या और वर की पासपोर्ट साइज की फोटो और आधार कार्ड होना चाहिए. इसके अलावा दोनों का जन्म प्रमाण पत्र, वधु का आधार कार्ड, लिंक बैंक अकाउंट डिटेल, निवास प्रमाण पत्र, आवेदन करने वाले परिवार का आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र होना चाहिए.