भक्त आज अन्नकूट के छप्पन भोग का प्रसाद लिये बिना ही मंदिरों से वापस लौटे। विभिन्न स्तरों पर मौखिक रूप से होने वाली चर्चा अनुसार आज कई लोगों का कहना था कि अब से पहले हमेशा दिपावली से अगले दिन मंदिरों में अन्नकूट का भोग लगता था और भक्तों को छप्पन भोग प्रसाद कड़ी चावल व बाजरे की खिचड़ी आदि खाने को मिलती थी। उसी बात को ध्यान में रखते हुए आज 12 बजे के लगभग कई मंदिरों पर भक्त पहुंचे तो उन्हें यह देखकर मायूस होना पड़ा कि इस बार अन्नकूट दिवाली से अगले दिन नहीं एक दिन छोड़ 2 तारीख को मनाया जाएगा। अब जो लोग सिर्फ श्रद्धाभाव से प्रसाद लेने पहुंचते है उनके लिए तो कोई बात नहीं है वो कल भी ले लेंगे मगर एक वर्ग ऐसा भी है जिसका पेट लगने वाले भंड़ारों व मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद अथवा निशुल्क भोजनालय चलाने वालों के दम पर ही भरता है। उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि बाजार में खाना खाने व सामान खरीदने के लिए पैसे चाहिए मगर कुछ लोगों के पास इनका आभाव रहता है। ऐसे ही कितने ही लोगों को अपना पेट भरने हेतु कई अन्य प्रकार के जुगाड़ भी ढूंढने पड़े पेट की भूख मिटाना जरूरी था और बिना खाना खाये ये संभव नहीं था। मेरे पिता जी रवि कुमार बिश्नोई का कहना है कि पूर्व में पिछले लगभग छ सात दशक से अन्नकूट भोग मंदिरों में दिपावली से अगले दिन ही लगता है इस बार दिपावली दो दिन मनाई जाएगी इसको लेकर तो काफी प्रचार हुआ मगर अन्नकूट व्यवस्था में भी बदलाव हुआ इसका कोई ज्यादा चर्चा नहीं हुई इस कारण भी जरूरतमंदों को परेशानी हुई।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महासचिव व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य)
अन्नकूट के दिन में बदलाव, जरूरतमंदों की परेशानी का बना कारण
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