Date: 16/09/2024, Time:

केंद्र सरकार पुराने आयुष्मान कार्ड निरस्त कर बनवाए नए, पात्रों के हित में घोटाला करने वालों से हो वसूली

0

कारण कुछ भी हो बढ़़ती बीमारियों महंगी होती डॉक्टरों की फीस और आसमान छू रही दवाईयों की कीमत से आम आदमी को बचाने और समय से सस्ता व सुलभ इलाज हर बीमारी का उपलब्ध कराने हेतु केंद्र व प्रदेश की सरकारें बहुत काम कर रही है लेकिन उसका फायदा कितने पात्रों को मिल रहा है और कितने नर्सिंग होम संचालक व डॉक्टर इस प्रयास का लाभ उठाकर मरीजों की फर्जी एंट्री कर मालामाल हो गए हैं। इस विषय पर जांच कराने की आवश्यकता बड़ी महसूस की जा रही है। क्योंकि खबर के अनुसार देश में आयुष्मान योजना के तहत 34. 07 करोड़ कार्ड बने। अगर इनसे संबंध पात्र व्यक्ति थे तो फिर जो कार्ड को लेकर जो समस्याएं आ रही हैं वो शायद नहीं आनी चाहिए थी। क्योंकि आबादी के अनुसार भी देखें तो लगभग 30 प्रतिशत लोगों के आयुषमान कार्ड बने मगर जितना देखने को मिलता है उससे मसूस होता है कि वाकई में जो पात्र हैं बड़ी तादात में इस सुविधा से वंचित हैं और आए दिन जो खबरें पढ़ने को मिलती है उनसे पता चलता है कि जिनके कार्ड बने हैं उनसे डॉक्टर धनउगाही करने की कोशिश करते हैं और कोरोना काल से अब तक जो सुनाई दिखाई दे रहा है और पढ़ने को मिला वो यह है कि कितने ही नर्सिंग होम संचालकों ने अपने यहां मरीजों की फर्जी भर्ती दिखाकर भुगतान लिया अथवा कोशिश की। या जो मरीज भर्ती हुए उन्हें बीमारी से अलग बीमारियों दिखाकर पैसे की बंदरबाट की। ऐसे कइ्र मामलों सामने आने की चर्चा है और सरकार भी इससे अनभिज्ञ नहीं है। उसके बावजूद आयुष्मान कार्ड को कारू काा खाजाना समझकर सरकार से पैसे का दोहन कर रहे दाषियों पर कार्रवाई न होने से यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि आयुष्मान का गलत फायदा उठाने वाले अपनी कार्य प्रणाली से रूके नहीं है।
मेरा मानना है कि जनहित में और आम आदमी के पैसे का सही उपयोग हो और सरकार उनसे विकास कार्य और जनहित की योजनाओं को गति दे सके इसके लिए जरूरी है कि जो आयुष्मान कार्ड बने थे उनका एक बार सर्वे होना चाहिए। और जिन लोगों और नर्सिग होमों ने इलाज के नाम पर इसका पैसा निकाला उनकी भी जांच होगी। अगर गलत कार्ड मिलते हैं तो नए पात्र व्यक्ति के आयुष्मान कार्ड बनवाएं जाएं और परिवार में तय सदस्य होने की शर्त नहीं होनी चाहिए। हर व्यक्ति आर्थिक आधार और जरूरत के हिसाब से आयुष्मान कार्ड बनने जिससे पात्र व्यक्ति सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ उठा सके। अगर पूर्व में किसी भी कारण से गलत व्यक्तियों के कार्ड बने हैं तो उन्हें बनवाने वाले दोषियों की खोज कराकर उनके विरूद्ध की जाए कार्रवाई तथा किसी फर्जी व्यक्ति ने उसका लाभ लिया है तो वसूली कार्ड बनवाने वाले और लोने वाले व्यक्ति के निजी साधनों से की जाए।
एक खबर के अनुसार आयुष्मान भारत योजना में 34.7 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं और 7.35 करोड़ से अधिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं, जिनके लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने गत शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एवीडीएम) की समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि आयुष्मान भारत योजना ने 34.7 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं और 7.35 करोड़ लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं। इनके लिए एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है।
मैं यह तो नहीं कहता कि यह जितने आंकड़े दिए गए हैं वो गलत होंगे लेकिन जितना पिछले कुछ सालों में सुनने पढ़़ने को मिला उससे यह लगता है कि कहीं ना कहीं इस योजना में घपला हो सकता है। उसका खुलासा हो और आगे कोई ऐसी हिम्मत ना दिखाए। पात्रों को मिल सके इलाज इसके लिए जरूरी है कि इन आंकड़ों की समीक्षा की जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

Share.

Leave A Reply