asd कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दरिंदगी, श्रद्धांजलि देने और कैंडिल मार्च निकालने से कुछ होने वाला नहीं है, प्रधानमंत्री जी! मातृशक्ति की सुरक्षा के लिए अब कुछ सोचना होगा

कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से दरिंदगी, श्रद्धांजलि देने और कैंडिल मार्च निकालने से कुछ होने वाला नहीं है, प्रधानमंत्री जी! मातृशक्ति की सुरक्षा के लिए अब कुछ सोचना होगा

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कोलकाता के आरजी कर सरकारी मेडिकल कॉलेज के हॉल में गत शुक्रवार को सुबह प्रशिक्षु महिला डॉक्टर का अर्धनग्न शव बरामद होने के बाद जो घटनाक्रम उभरकर सामने आए उसमें कुछ वर्ष पहले देश की राजधानी दिल्ली में हुए निर्भया कांड की याद ताजा कर दी। बताते चलें कि संजय राय जो एक सिविक पुलिस के तौर पर पहचाना जाता है यह मूलरूप से पुलिस की सहायता के लिए बनाएं जाते हैं। इस अपराध से संबंध आरोपी संजय राय ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। बताते हैं कि उसके ईयरफोन से पोर्न वीडियो भी मिला है। उसे गिरफ्तार कर पुलिस ने 14 दिन के लिए जेल भेज दिया। आरोपी पर बीएनएस की धारा 64 बलात्कार और 103 हत्या के तहत आरोप लगाए गए हैं। मृतका डॉक्टर के साथ कितनी दरिंदगी की गई होगी इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला डॉक्टर की गर्दन की हडडी टूटे होने और गुप्तांग समेत कई जगह शरीर पर चोट के निशान पाए गए हैं। खबर के अनुसार डॉक्टर आपातकालीन विभाग में रात की डयूटी पर थी। दो बजे डयूटी समाप्त होने पर उसने खाना खाया और चौथी मंजिल पर वह सेमिनार हॉल में चली गई। बाद में नीले रंग की चादर से उसका शव ढका मिला। अस्पताल प्रबंधन ने 11 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि दोषियों को कठोर से कठोर सजा दी जाए और जरूरत पड़े तो फांसी दे दी जाए। उन्होंने कहा कि मैंने मामले को फास्ट ट्रैक अदालत में ले जाने का निर्देश दिया है तो बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंद्र अधिकारी ने इस घटना की सीबीआई जांच की मांग की है। समाचार से पता चलता है कि आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
इस घटना में सब अपने हिसाब से मांग कर रहे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में तो डॉक्टरों में इस घटना को लेकर उबाल है ही। दूसरी तरफ देशभर में सरकारी अस्पतालों में इस घटना को लेकर विरोध स्वरूप हड़ताल धरना प्रदर्शन का दौर चल रहा है। आज यूपी के मेरठ में डॉक्टरों ने इस घटना को लेकर मार्च निकाला। जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। घटना ह्रदयविदारक और शर्मनाक है। मगर सवाल यह उठता है कि ऐसे दरिंदों की कार्रवाईयों पर रोक कैसे लगे। क्योंकि निर्भया हत्याकांड के बाद सरकार ने कई नियम बनाएं तब यह लगा था कि शायद ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी। लेकिन जहां तक पढ़ने सुनने को मिल रहा है उससे तो यह प्रतीत होता है कि दुष्कर्म छेड़छाड़ और यह जो डॉक्टर के साथ दरिंदगी हुई उसके चलते यह कहने में कोई हर्ज नहीं हो रहा है कि विकृत मानसिकता के लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा है।
भाजपा ने सीबीआई जांच की मांग की है। महिला मुख्यमंत्री ने दोषी को फांसी की सजा की बात दोहरायी है। देशभर में आंदोलन धरने प्रदर्शन हो रहे हैं। कोई कैंडिल मार्च निकाल रहा है तो सब अपने हिसाब से इस घटना का विरोध कर रहे हैं। कुछ नेता इसको लेकर हल्की फुल्की राजनीति भी शुरू कर चुके हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि दुनिया की आधी आबादी महिलाओं को इन घटनाओं से छुटकारा कैसे मिलेगा। क्योंकि ग्रामीण कहावत ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया के समान जैसे जैसे महिला उत्पीड़न के रोकने के लिए नियम बन रहे हैं मगर लगता है कि घटनाएं ज्यादा बढ़ रही हैं। सवाल यह उठता है कि नियमों से कुछ नहीं हो रहा है। क्योंकि जिसने कुछ करने की सोच ली है तो वह घटना को अंजाम देकर रहेगा। मेरा मानना है कि बड़े संस्थानों में नौकरी पर रखते समय सबकी मानसिक जांच अनिवार्य की जाए। दूसरा बलात्कार छेड़छाड़ में पकड़ा गया आरोपी उसे सजा मिलनी चाहिए। किसी को नाबालिग कहकर समाज हित में नहीं बख्शा जाना चाहिए। ऐसी घटनाओं की जांच के लिए शहरों और गांवों आदि में महिलाओं की एक समिति गठित करे और उसे जांच आदि में पूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। अगर उनकी जांच में कोई दोषी पाया जाता है तो मुकदमा चलाने की बजाय संविधान में बदलाव कर सीधे मौत की सजा का प्रावधान हो और इसके लिए संसद में जल्द प्रस्ताव पास हो। क्योंकि अब अपनी मां बहनों को कोई भी इस प्रकार से मरते नहीं देखना चाहता। सीधे सच्चे परिवारों के लोग तो चुप हो जाते हैं लेकिन कई लोग ऐसी घटनाओं को भूलने की बजाय उस पर आक्रामक रूख अपनाते हैं और ऐसे में और भी कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता। महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और इस प्रकार की दरिंदगी का इंसाफ मोमबत्ताी मार्च और श्रद्धांजलि देेने से होने वाला नहीं है। दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए और मैं समझता हूं कि मेरी इस बात से महिलाओं के प्रति सम्मान न्याय के प्रति विश्वास सबको जीने का मौका उपलब्ध कराने की सोच वाला हर व्यक्ति सहमत होगा। जो भी प्रधानमंत्री को कुछ ऐसे सख्त कदम जरूर उठवाने चाहिए जिससे बचेगी महिला पढ़ेगी महिला जिएगी महिला तो ही चलेगा समाज की भावना साकार हो सके।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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