प्रयागराज, 20 मार्च। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि पीड़िता की छाती छूना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश के अपराध के तहत नहीं आएगा। कोर्ट ने कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में रेप की कोशिश का अपराध नहीं बनाते हैं। रेप के प्रयास का आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे निकल गया था। अपराध करने की तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से दृढ़ संकल्प की अधिक डिग्री में निहित है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज मामले में आकाश व दो अन्य आरोपियों की पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए की है।
पुनरीक्षण याचिका में स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट कासगंज के सम्मान आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने स्पेशल न्यायालय के सम्मन आदेश में संशोधन करते हुए दो आरोपियों के खिलाफ आरोपों में परिवर्तन किया है। उन्हें आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे में सम्मन किया गया था।
दरअसल, कासगंज की एक महिला ने 12 जनवरी, 2022 को कोर्ट में एक शिकायत दर्ज कराई। आरोप लगाया कि 10 नवंबर, 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ कासगंज के पटियाली में देवरानी के घर गई थीं। उसी दिन शाम को अपने घर लौट रही थीं। रास्ते में गांव के रहने वाले पवन, आकाश और अशोक मिल गए।
पवन ने बेटी को अपनी बाइक पर बैठाकर घर छोड़ने की बात कही। मां ने उस पर भरोसा करते हुए बाइक पर बैठा दिया। लेकिन रास्ते में पवन और आकाश ने लड़की के प्राइवेट पार्ट को पकड़ लिया। आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करते हुए उसके पायजामे की डोरी तोड़ दी।
लड़की की चीख-पुकार सुनकर ट्रैक्टर से गुजर रहे सतीश और भूरे मौके पर पहुंचे। आरोपियों ने देसी तमंचा दिखाकर दोनों को धमकाया और फरार हो गए। इसके बाद, जब पीड़िता की मां आरोपी पवन के पिता अशोक के घर गईं, तो उन्होंने गाली-गलौज और धमकी दी। जब पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की, तो उन्होंने अदालत का रुख किया। आरोपियों ने निचली अदालत के आदेशों के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली।
इस मामले में तीन सवाल उठाए गए
क्या लड़की के स्तनों को पकड़ना, पायजामे की डोरी तोड़ना और उसे खींचने की कोशिश करना बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में आता है?
क्या विशेष न्यायाधीश ने समन जारी करते समय उचित न्यायिक विवेक का प्रयोग किया था?
आरोपी पक्ष ने तर्क दिया कि यह मामला रंजिशन था। क्योंकि इससे पहले आकाश की मां ने 17 अक्टूबर, 2021 को शिकायतकर्ता के रिश्तेदारों के खिलाफ छेड़छाड़ की FIR दर्ज करवाई थी।
आरोपियों की ओर से वकील अजय कुमार वशिष्ठ ने तर्क दिया कि अभियुक्तों पर लगाई गई धाराएं सही नहीं हैं। वहीं, शिकायतकर्ता की ओर से वकील इंद्र कुमार सिंह और राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि समन जारी करने के लिए केवल प्रथम दृष्टया मामला साबित करना आवश्यक होता है, न कि विस्तृत सुनवाई करना।
अदालत ने अपने आदेश में कहा- केवल यह तथ्य कि अभियुक्तों ने पीड़िता के स्तनों को पकड़ लिया, पायजामे की डोरी तोड़ दी, और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन कुछ लोगों के हस्तक्षेप पर वे भाग गए। यह अपने आप में बलात्कार के प्रयास का मामला नहीं बनाता।