Date: 24/12/2024, Time:

यूपी में भाजपा की जल्द होगी एक और परीक्षा

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लखनऊ 12 जून। हालिया लोकसभा चुनाव में लक्ष्य से चूकी भाजपा को जल्द फिर बड़ा इम्तिहान देना होगा। वह परीक्षा प्रदेश में विधानसभा सीटों पर शीघ्र होने वाले उपचुनावों में होगी। सरकार से लेकर संगठन तक एक बार फिर कसौटी पर होगा। यदि समाजवादी पार्टी अपने छह बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने में सफल रही तो यह उपचुनाव 16 सीटों पर होंगे। इनमें से 11 सीटें अभी सपा के पास हैं जबकि एनडीए के पांच विधायक अब सांसद बन चुके हैं, जिनमें चार भाजपा के हैं। इसी तरह सपा के भी अखिलेश यादव सहित चार विधायक सांसद चुने गए हैं।

लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी इंडिया गठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग में उलझी भाजपा के सामने फिर नई चुनौती है। एक ओर लोकसभा चुनाव के नतीजों से विपक्षी गठबंधन खासतौर से सपा बेहद उत्साहित है। 37 लोकसभा सीटें जीतकर यूपी में पहले और देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनीं सपा अब 2027 को लेकर ख्वाब संजोने में जुट गई है। हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों से जुड़े मुद्दे और वोटिंग पैटर्न बिल्कुल अलग है। वहीं भाजपा के पास अपनी कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय भी है।

सांसद बने विधायक छोड़ेंगे अपनी सीटें
लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन से कुल 14 विधायक मैदान में थे। इनमें से नौ सांसद बन चुके हैं। कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायक भी खतरे में है।

छह बागी विधायकों के भविष्य पर असमंजस
सपा अपने छह विधायकों की सदस्यता खत्म कराना चाहती है। इनमें मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चर्तुवेदी, पूजा पाल शामिल हैं। खास बात यह है कि इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में तो सपा से बगावत कर भाजपा की मदद कर दी, मगर लोकसभा चुनाव में इनमें से कोई काम न आ सका। फिलहाल असमंजस के बादल हैं। यदि अखिलेश जैसा कह रहे हैं, उसे अमलीजामा पहनाते हैं तो इन विधायकों की सीटों पर भी अगले छह माह में उपचुनाव कराने होंगे।

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