देश का सत्ताधारी सहित हर राजनीतिक दल संविधान की रक्षा को लेकर आए दिन कोई ना कोई चर्चा करने में लगा है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर के संविधान में योगदान को लेकर कोई भी नकार नहीं सकता। सबसे बड़ी बात अम्बेडकर के अनुयायियों के लिए वह भगवान के समान हैं और प्रशंसक अपने नेताओं के मंदिर बनाकर पूजा करने के साथ भगवान के समान संज्ञा देने लगे हैं तो फिर पूरे समाज के लिए जिस संविधान की रचना अम्बेडकर और उनकी टीम द्वारा की गई जिसके दम पर हम आज भयमुक्त वातावरण में सांस ले रहे हैं और न्याय पाने की दावेदारी करते है।। चाहे विधानसभा हो या संसद ग्राम प्रधान से लेकर उच्च सदन के सदस्यों तक और देशभर में संचालित संस्थाएं सभी उस संविधान के अंतर्गत संचाचित हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि भाजपा को स्थिति स्पष्ट करते हुए अन्य राजनीतिक दलों को इस मुददे को लेकर राजनीति करने का मौका देने की बजाय गृहमंत्री अमित शाह को सभी की भावना को ध्यान रखते हुए खासकर बाबा साहब को मानने वालों की भावना के दृष्टिगत क्षमा मांगकर इस मुददे को समाप्त करना चाहिए। वैसे भी कानून व्यवस्था बनाने और न्याय दिलाने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होती है और सभी कार्य संविधान के अनुसार करने की कोशिश की जा रही है तो संविधान निर्माता के खिलाफ कोई शब्द कहे गए हैं तो उसमें माफी मांगने में कोई हर्ज महसूस नहीं नजर आता है। वैसे भी अमित शाह भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल है। बाबा साहेब की पर टिप्पणी को लेकर जो आंदोलन होंगे उससे भाजपा को ही नुकसान है। यह चर्चा होती है कि मोदी हर चुनाव में भाजपा के पालनहार बनते हैं और इसलिए भाजपा सरकारें बना रही है। ऐसे में और जरूरी हो जाता है कि बाबा साहेब के सम्मान में कोई कोताही ना हो।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
भाजपा नेतृत्व बाबा साहेब के सम्मान और संविधान की रक्षा हेतु इस मुददे पर ले निर्णय
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