व्यक्ति गरीब हो या अमीर साधु हो या संत वो अपनी पुरानी बातें व यादें कभी नहीं भूलता है। साधु संतों के पास उन्हें याद कर चर्चा करने का समय नहीं होता क्येांकि वह भगवान की भक्ति में लीन होते हैं लेकिन आम आदमी कभी जन्मदिन स्थापना दिवस के रूप में बहुत सी यादों को ताजा करते हैं। शायद इसी भावना के तहत अपनी अच्छी यादों को ताजा करने हेतु विभिन्न चीजों के आविष्कार और योजनाओं की शुरूआत के समय दिन को दिवस के रूप में संबंधित लोगों द्वारा मनाया जाता हेै और यह एक अच्छी बात है क्योंकि इससे हमें हर उस चीज और याद को ताजा रखने में मदद मिलती है तो हमारे मन भावनाओं से जुड़ी हो। हम साल में एक दिन अंतरराष्ट्रीय फोटो दिवस मनाते हैं। उससे हमें बचपन से लेकर जो उम्र्र हमारी है उस तक की सभी यादें फोटों देखकर सामने खड़ी हो जाती है।
आज देशभर में हमारे द्वारा अंगदान दिवस लाइब्रेरियन दिवस एवं रिमोट सेसिंग दिवस मनाया गया। अब अगर देखें तो यह तीनों ही दिवस अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि अपनों का जीवन बचाने हेतु अंगदान दिवस मनाया जाता है जो हमें याद दिलाता है कि हम जो सक्रिय हैं वो अपनों की और अपनों जैसे गैर रहे उन्होंने हमारे साथ कितना बड़ा सहयोग किया है और इसी भावना को आत्मसात कर हम भी आवश्यकता पड़ने पर जो भी दान कर सकते हैं वो कर औरों के चेहरों पर खुशियां लाएं। तो पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ एसआर रंगनाथन की 132 वीं जयंती बीते दिवस मनाई गई। पुस्तकालयों और किताबों का हमारे जीवन में कितना योगदान है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। पुस्तकें हमें जीवन दर्शन और सदभावना तथा खुशहाल जीवन कैसे जीया जा सकता है इसकी प्रेरणा देती हैं। अब करें बात रिमोट सेंसिंग दिवस की तो घर हो या दफतर सब जगह टीवी, एसी, पंखा, चलाना या बंद करना है तो हमें अब रिमोट की आवश्यकता पड़ती है क्येांकि यह ऐसी सुविधा है कि हम बिस्तर पर लेटे लेटे यंत्र शुरू कर सकते हैं और बंद भी।
कुल मिलाकर रिमोट सेसिंग के आविष्कार कर्ता विक्रम साराभाई तो लाइब्रेरी के लिए डॉ एसआर रंगनाथन को हमनें याद किया। अंगदान दिवस की शुरूआत कब और किसने की यह तो महत्वपूर्ण है ही सबसे जरूरी है कि उन लोगों को याद किया जाए जिनकी वजह से हम चल और सोच रहे हैं।
ऐसे ही पूरी दुनिया में अब लगभग रोज ही छोटे या बड़े स्तर पर हमारे भाईयों द्वारा कोई ना कोई दिवस मनाया जाता है। यह क्यों जरूरी है और इससे हमें क्या फायदे होेते हैं और क्येां हम मनाते हैं यह तो ऊपर मैं चर्चा कर ही चुका हूं। मेरा मानना है कि जिस उत्साह और उमंग से हम आविष्कारकर्ताओं को याद कर उनका जन्मदिन व स्थापना दिवस मनाते हैं वो ही उत्साह और उमंग के साथ हम अगर जनहित में इनसे मिली सीख और उपलब्धि को याद रख खुद अपनी सुविधा और औरों के आराम या उसका लाभ पहुंचाने का प्रयास करें तो वो हर मानव के लिए किसी ना किसी रूप में कारगर और लाभदायक सिद्ध होने के साथ साथ उसके चेहरे की चमक आसानी से बढ़ा सकता है। कहने का आशय सिर्फ इतना है कि अगर हम स्थापना व जन्मदिनों को औरों के हित को ध्यान में रखकर मनाएं तो वो ज्यादा अच्छा रहेगा। जैसे लोग अपने जन्मदिन पर मंदिरों में भोग लगाकर प्रसाद वितरण करते हैं कुछ लोगों के लिए वह प्रसाद होता है तो कुछ के लिए वह भोजन बन जाता है। वह कुछ लोगों के लाभ का कारण जरूर बनता है। कुछ ऐसा ही हमें अपनों की याद में करना चाहिए तो ग्रामीण कहावत आम के आम गुठलियों के दाम के समान हम काम कर सकते हैं क्येांकि हम भी खुश जिनके लिए कर रहे हैं वो भी खुश और जिनकी याद में कर रहे हैं उनका आशीर्वाद मिलने की संभावना बन जाती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जन्मदिन और स्थापना दिवस तो किसी ना किसी का रोज ही मनाया जाता है इसको अगर जनहित को ध्यान में रखकर मनाया जाए तो वो सबके लिए यादगार बन सकता है
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