asd होलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन में भद्रा का साया, आधी रात में केवल 1 घंटा 4 मिनट का शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली 03 मार्च। होली का पर्व पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर अपनी खुशियों को साझा करते हैं और घरों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से पहले होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका दहन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

इस बार होलिका दहन के लिए भक्तों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। देर रात तक इंतजार करने के बाद ही भक्तगण होलिका दहन कर सकेंगे। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10.35 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12.23 तक रहेगी। 13 मार्च को भद्रा पूंछ शाम 6.57 मिनट से रात 8.14 तक रहेगी। इसके बाद भद्रा मुख का समय शुरू हो जाएगा जो रात 10.22 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ही होलिका दहन करना शुभ होगा।

हालांकि भद्रा 10 बजकर 22 मिनट को समाप्त हो जाएगी, लेकिन दहन के लिए 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 से देर रात 12 बजकर 30 मिनट का समय उत्तम माना जा रहा है। इस तरह से होलिका दहन के लिए 64 मिनट का समय भक्तों को मिलेगा। पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनि देव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई है। इसी वजह से भद्रा के समय किसी भी काम की शुरुआत वर्जित मानी गई है। भद्राकाल में होलिका दहन करना अनिष्ठ का स्वागत करने के समान माना जाता है।

होलाष्टक की अवधि बेहद महत्वपूर्ण होती है। यह अवधि शुभकार्यों को करने के लिए अशुभमानी जाती है। होलाष्टक की शुरुआत हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है और इसका समापन पूर्णिमा तिथि को होता है। इस बार होलाष्टक 7 मार्च को शुरू होगा और 13 मार्च को समाप्त होगा। यह समय खासतौर पर पूजा, व्रत और विशेष उपायों के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है।

होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां समाप्त हो जाती हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस के दौरान आग की परिक्रमा करने और उसमें नारियल, गेहूं व अन्य चीजें अर्पित करने से घर-परिवार की रक्षा होती है। होलिका की अग्नि से निकलने वाली ऊर्जा वातावरण को शुद्ध करती है, जिससे कई बीमारियों से बचाव होता है।

वर्ष का पहला चंद्रग्रहण
इस वर्ष होली के दिन 14 मार्च को आश कि चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। भारतीय समय अनुसार सुबह 9:27 मिनट पर उपछाया ग्रहण शुरू होगा और 10 बजकर 39 मिनट पर आंशिक और 11 बजकर 56 मिनट पर पूर्ण चंद्रग्रहण समाप्त हो जाएगा। ग्रहण का समय दिन का होने के कारण यह भारत में नजर नहीं आएगा और इसी कारण इसका असर भी भारत पर नहीं होगा। ग्रहण का प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, यूरोप के कई हिस्सों, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका के बड़े हिस्से सहित अन्य जगहों पर पड़ेगा।

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