नई दिल्ली 20 जुलाई। साइबर अपराध और धोखाधड़ी में शामिल लोग देशभर में कहीं भी वित्तीय और बैंकिंग सेवाओं को इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। केंद्र सरकार इसके लिए केंद्रीय रजिस्ट्री तैयार कर रही है, जिसमें ऐसे ठगों की काली सूची होगी और उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय दोनों मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं। सरकार इस व्यवस्था को जल्द लागू कर सकती है।
इस मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि इस रजिस्ट्री के माध्यम से ऐसे बैंक खातों और लोगों का पता लगाने में मदद मिल सकेगी, जो वित्तीय धोखाधड़ी करने में लिप्त हैं। इसको लेकर वित्त और गृह मंत्रालय के बीच बैठक हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इस पर अंतिम फैसला जल्द ही हो सकता है।
वर्तमान में यदि कोई व्यक्ति लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है और एक बैंक खाते में यूपीआई के माध्यम से धन प्राप्त करता है, तो उसके लिए इस धन को दूसरे बैंक में हस्तांतरित करना आसान होता है। चूंकि, वित्तीय संस्थानों के पास कोई केंद्रीकृत डाटा उपलब्ध नहीं है, इसलिए धोखेबाजों द्वारा इस तरह का धन हस्तांतरण बड़े पैमाने पर होता है। यदि कोई बैंक या वित्तीय संस्थान इनकी पहचान करके कार्रवाई भी करता है तो ये अपराधी अन्य बैंकों अथवा वित्त संस्थानों में चले जाते हैं। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए सरकार नई पहल कर रही है।
ठगों की पहचान करना हो जाएगा आसान
नई व्यवस्था में अगर कोई जालसाज एक बैंक से दूसरे बैंक में धन हस्तांतरण करता है तो बैंकों के लिए इस लेनदेन और उस व्यक्ति की पहचान करना आसान हो जाएगा। चूंकि, यह जालसाज पहले से ही काली सूची में शामिल होगा, इसलिए इस हस्तांतरण को तुरंत रोक दिया जाएगा। साथ भविष्य में देशभर में कहीं भी बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं का इस्तेमाल के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
जांच एजेंसियां डाटा साझा करेंगी
इस केंद्रीय रजिस्ट्री में सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियां गृह मंत्रालय और आगे वित्तीय संस्थानों के साथ डाटा साझा करेंगी। गृह मंत्रालय साइबर से जुड़े अपराधों से निपटता है। इसका भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई 4सी) कई एजेंसियों के बीच समन्वय करता है और दिन-प्रतिदिन साइबर शिकायतों पर नज़र रखता है। माना जा रहा है कि सरकार इस बजट में साइबर अपराधों से निपटने के लिए आवंटन बढ़ा सकती है। अधिकारियों का कहना है कि साइबर सुरक्षा के बढ़ते महत्व के बारे में केंद्र सरकार संजीदा है। इस क्षेत्र में आधारभूत ढांचे को मजबूत करने की मुहिम जारी है।
यह होगा फायदा
– रजिस्ट्री में साइबर अपराधी या जालसाज का नाम, पैन और आधार नंबर, बैंक खाता संख्या और अन्य विवरण दर्ज होंगे
– संबंधित खाते (जिसमें धोखाधड़ी की रकम आई या भेजी गई ) के साथ जुड़े आधार नंबर और पैन कार्ड को भी काली सूची में डाल दिया जाएगा। इससे दूसरा खाता नहीं खुल पाएगा
– संबंधित जालसाज के खिलाफ साइबर अपराध के मामले में भी तेजी से कार्रवाई शुरू हो पाएगी