asd बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं ने दिल्ली की डेमोग्राफी बदली, जेएनयू के रिसर्च से खुलासा

बांग्लादेशियों व रोहिंग्याओं ने दिल्ली की डेमोग्राफी बदली, जेएनयू के रिसर्च से खुलासा

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नई दिल्ली 04 फरवरी। बांग्लादेश व म्यांमार के घुसपैठियों ने दिल्ली में आबादी के स्वरूप (डेमोग्राफी) को बदल दिया है। सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक परिदृश्य तो बदला ही है, चुनावी प्रक्रिया भी कमजोर हो रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार समेत दूसरी बुनियादी जरूरतों पर दबाब से दिल्ली की मूल आबादी में आक्रोश फैल रहा है। यह खुलासा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट में हुआ है।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भाजपा नेता संबित पात्रा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या को लेकर जारी की जेएनयू के रिपोर्ट का हवाला दिया. प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए डॉक्टर संबित पात्रा ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बहुत सारे सोध और रिसर्च कार्य होते हैं. पिछले हफ़्ते एक सोध की स्टडी के बाद हमने पाया कि म्यांमार और बांग्लादेशी घुसपैठी का दिल्ली से क्या सरोकार है? उसकी एक 114 पन्नो की रिपोर्ट सामने आई है.

जेएनयू की स्कूल ऑफ लैंग्वेज में रशियन लैंग्वेज की प्रो. मनुराधा चौधरी व प्रो. प्रीति डी दास की अगुवाई में विद्यार्थियों ने अध्ययन किया। 114 पन्नों की रिपोर्ट में अवैध आप्रवास में राजनीतिक संरक्षण की भूमिका और बुनियादी ढांचे व अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को रेखांकित किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश घुसपैठी और म्यांमार से रोहिंग्या आया है. उससे दिल्ली शहर के डेमोग्राफी में बदलाव आया है. इसलिए जो 10 साल पहले दिल्ली थी, अब वह नहीं रही. यह खतरे की सूचक है. उसका पूरा खुलासा रिपोर्ट में हैं, जो कंस्ट्रक्शन कार्य पूर्वांचल और अन्य राज्यों के भाइयों करते थे, उस काम में सेंधमारी करने का काम ग़ैर कानूनी ढंग से किया जाने लगा है. हर क्षेत्र में ये रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुस गए हैं, जो पैसे पूर्वांचल के भाई बहनों और अन्य राज्यों के भाई बहनों को जाना चाहिए. वह सब अब बांग्लादेशी और रोहिंग्या को जा रहे हैं. कहीं इसका डॉक्यूमेंटेशन नहीं है. खासकर आम आदमी पार्टी का एक क्रूशियल रोल है.

पात्रा ने किताब में सीलमपुर, जाफराबाद, बाबरपुर, गोकलपुरी और द्वारका में का जिक्र किया. इनका किताब मौलवी, इनफॉर्मर, ब्रोकर और इन अवैध प्रवासियों के बसने पर केंद्रित है. उन्होंने कहा, फेक आइडेंटिटी की फ़ीचर का इस्तेमाल कर कैसे फर्जी अकाउंट खोले जा रहे हैं. इसलिए ये बांग्लादेशी और रोहिंग्या आकर हमारे लोगों को कैसे कामों को प्रभावित करते हैं. यह उसका पूरा रिपोर्ट है.

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