प्रयागराज 24 मई। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान एंड फैमिली को बर्थ सर्टिफिकेट मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. परिवार के तीनों सदस्यों (आजम खान, बेटा अब्दुल्ला आजम और पत्नि तंजीन फातिमा) को अदालत से जमानत मिल गई है. कोर्ट ने आजम खान की सात साल की सजा पर भी रोक लगा दी है. आजम की पत्नी तंजीन फातिमा जेल से छूट जाएंगे. लेकिन आजम खान को एक और मामले में सात साल की सजा हुई है, इसलिए वह अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे. वहीं आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम भी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे. आजम की पत्नी तंजीन फातिमा के खिलाफ कोई दूसरा मामला नहीं बचा है इसलिए वह बाहर आ जाएंगी.
इस मामले में रामपुर के बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने तीन जनवरी, 2019 को आज़म खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आज़म के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज कराया था. तीनों के खिलाफ रामपुर के गंज पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 193, 420, 467, 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
आकाश सक्सेना की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक़ आज़म खान और उनकी पत्नी तंजीन ने बेटे अब्दुल्ला आज़म का एक बर्थ सर्टिफिकेट 28 जून साल 2012 को रामपुर की नगरपालिका परिषद से बनवाया गया था, जबकि दूसरा बर्थ सर्टिफिकेट 21 जनवरी 2015 को लखनऊ नगर निगम से जारी कराया गया.
पहले बर्थ सर्टिफिकेट में जन्म स्थान रामपुर बताया गया जबकि दूसरे में जन्म स्थान लखनऊ का क्वीन मैरी हॉस्पिटल बताया गया. आरोप लगा कि आज़म परिवार ने अलग-अलग बर्थ सर्टिफिकेट का इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर किया. अलग अलग बर्थ सर्टिफिकेट के आधार पर दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड बनाकर उनके दुरूपयोग की भी बात सामने आई.
इस मामले में रामपुर पुलिस ने जांच पूरी होने के बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. चार्जशीट में आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया. आज़म खान ने पत्नी तंजीन और बेटे अब्दुल्ला के साथ इस मामले में 26 फरवरी 2020 को रामपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया. कोर्ट ने तीनों को जेल भेज दिया. आज़म खान को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से 27 महीने बाद जमानत मिली.
रामपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 18 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाते हुए आज़म खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आज़म को दोषी करार दिया और तीनों को सात दृ सात साल कैद और पचास दृ पचास हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई. सज़ा सुनाए जाने के बाद परिवार को फिर से जेल जाना पड़ा.
पुलिस ने इस मामले में आकाश सक्सेना समेत ग्यारह लोगों को गवाह बनाया था. अभियोजन की तरफ से इस मामले में कोर्ट में पंद्रह गवाह और सत्तर दस्तावेजी सबूत पेश किये गए.