नई दिल्ली 23 अक्टूबर। युवाओं को पढ़ाई के बाद अब रोजगार के लिए भटकना नहीं होगा। विश्वविद्यालय आने वाले दिनों में उन्हें स्नातक की पढ़ाई के साथ अनिवार्य रूप से अप्रेंटिसशिप कराएंगे। जो तीन वर्षीय स्नातक कोर्स के लिए न्यूनतम एक और अधिकतम दो सेमेस्टर का होगा।
जबकि चार साल के स्नातक कोर्स के लिए न्यूनतम दो व अधिकतम चार सेमेस्टर का होगा। इस दौरान उन्हें एक नियमों के तहत निर्धारित एक स्टाइपेंड भी दिया जाएगा। इसे लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच एक करार भी होगा।
छात्रों को देना होगा अप्रेंटिसशिप का मौका
जिसमें उद्योगों को तय नियमों के तहत साल में एक निर्धारित संख्या में छात्रों को अपने यहां अप्रेंटिसशिप का मौका देना होगा। युवाओं के सामने रोजगार के बढ़ते संकट का समाधान खोजते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी) ने इसे लेकर अप्रेटिंसशिप युक्त एक नए डिग्री प्रोग्राम का मसौदा तैयार किया है। जिसमें स्नातक की पढ़ाई के साथ छात्रों को अनिवार्य से अप्रेटिंसशिप कराना शामिल है।
‘ए’ रैंकिंग वाले संस्थानों से होगी प्रोग्राम की शुरुआत
फिलहाल मसौदे के तहत इस प्रोग्राम की शुरूआत देश के शीर्ष दो सौ उच्च शिक्षण संस्थानों ( एनआइआरएफ रैंकिंग के अनुसार) या फिर राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक) की ‘ए’ रैंकिंग वाले संस्थानों से होगी। हालांकि इससे पहले इन सभी उच्च संस्थानों को अपने आस- पास के उद्योगों के साथ एक करार करना होगा। जिसमें उन्हें संस्थानों में छात्रों में पढ़ने वाले छात्रों को प्राथमिकता के साथ अप्रेंटिसशिप का मौका देना होगा। इस मसौदे को लेकर अगले महीने भर राय दी जा सकती है।
यूजीसी के मुताबिक पढ़ाई के साथ किए गए अप्रेंटिसशिप के लिए छात्रों को क्रेडिट स्कोर भी दिए जाएंगे। जिसके आधार पर वह पढ़ाई के बाद अपने उस अनुभव के आधार पर उन क्षेत्रों में आसानी से रोजगार हासिल कर सकते है।
मसौदे के मुताबिक एक सेमेस्टर यानी छह महीने का अप्रेंटिसशिप करने पर छात्रों को कम से कम 20 क्रेडिट स्कोर मिलेंगे। यदि एक साल यानी दो सेमेस्टर का अप्रेंटिसशिप कर लिया तो उसे 40 क्रेडिट स्कोर मिलेंगे। क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत एक क्रेडिट के लिए कम से 30 घंटे का प्रशिक्षण अनिवार्य होगा।
अप्रेंटिसशिप का भी होगा मूल्यांकन
पढ़ाई के साथ ही अप्रेंटिसशिप अवधि का भी मूल्यांकन उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से किया जाएगा। जिसका जिक्र उन्हें दिए जाने वाले सर्टिफिकेट में होगा। वैसे भी यूजीसी ने अप्रेंटिसशिप के मूल्यांकन के लिए जो फार्मूला तैयार किया है, उसके तहत कुल अंक में से 25 अंक का मूल्यांकन उस संस्थान या उद्योग की ओर से होगा, जहां छात्र अप्रेंटिसशिप कर रहा होगा। इसके बाद 25 अंक संस्थान की ओर से नियुक्त मेंटर देगा, जिसकी देखरेख में वह अप्रेंटिसशिप कर रहा होगा। बाकी अंक संस्थान प्रोजेक्ट आदि के आदि के आधार पर देगा।
यूजीसी के तहत ट्रेनी नियुक्ति की आवश्यकताएँ
यूजीसी के नए नियमों के अनुसार, अप्रेंटिसशिप एंबेडेड डिग्री प्रोग्राम के लिए कुछ खास बातें हैं। ट्रेनी को नियुक्त करने के लिए सिर्फ वही कर्मचारी प्राप्त होंगे जिनके पास चार या उससे ज्यादा कर्मचारी है। वहीं, जिन कंपनी में 30 या अत्यधिक कर्मचारी है, उन्हें ट्रेनी नियुक्त करना अनिवार्य होगा। यूजीसी ने यह भी कहा है की कंपनी को एक वित्तीय वर्ष में 2.5% से 15% तक ट्रेनी नियुक्त करने होंगे। इसके अलावा कर्मचारियों की कुल संख्या में से कम से कम पांच प्रतिशत नए ट्रेनी और स्किल सर्टिफिकेट हकदार ट्रेनी के लिए आरक्षित किया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को काम का मौका मिल सके।
अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग को बढ़ावा देने की पहल
भारत सरकार ने संबंधित क्षेत्र में अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग की राष्ट्रीय योजना को लागू करने के लिए कुछ प्रमुख शहरों जैसे चेन्नई, कानपुर, मुंबई और कोलकाता में ‘स्वायत्त निकायों’ के तहत क्षेत्रीय बोर्ड स्थापित करने का निर्णय लिया है।
ये क्षेत्रीय बोर्ड अप्रेंटिसशिप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को प्रभावी ढंग से संचालित करेंगे। जिससे छात्रा को उद्योगों के मानकों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा सकेगा। इस प्रोग्राम के अंतर्गत छात्रों को बेहतर अवसर मिलेंगे और उनके काउंसिल में निखार आएगा। इसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए आधिकारिक डॉक्यूमेंट पढ़ने की सलाह दी गई है।