लखनऊ 09 जुलाई। अब शहरों में नियम-कानून को ताक पर रखकर बने छोटे अपार्टमेंट भी रेरा (रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण) की रडार पर हैं। अब ऐसे अपार्टमेंट्स पर रेरा लगाम लगाएगा। इसके लिए पहली बार 500 वर्गमीटर या मात्र आठ फ्लैट वाले अपार्टमेंट का पंजीकरण भी रेरा में अनिवार्य कर दिया गया है। इससे कम आय वाले छोटे खरीदारों को ठगी से बचाया जा सकेगा।
सुधार के लिए रेरा की यह बड़ी पहल मानी जा रही है। पारदर्शिता के लिए रेरा ने छोटे अपार्टमेंट का पंजीकरण अनिवार्य किया है। ऐसी इमारतों में फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों को बाद में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए बिल्डर से शून्य देनदारी का शपथपत्र भी लिया जा रहा है। फ्लैट का कब्जा देने में विलंब करने वाले बिल्डरों के खिलाफ शिकायत की सुविधा भी ग्राहकों को दी गई है। ऐसे मामलों में बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है।
रियल एस्टेट सेक्टर के हितधारकों और घर खरीदारों के लिए वेबसाइट ूू.नच- तमतं.पद बनाई गई है, जिस पर विकास प्राधिकरणों के प्लानिंग एरिया में आने वाले किसी भी निर्माण को रेरा में अनिवार्य रूप से पंजीकृत करवाना होगा। पोर्टल पर परियोजना से जुड़े नक्शे, लेआउट, फ्लैटों की संख्या, क्षेत्रफल, निर्माण शुरू होने से पूर्ण होने तक की सीमा, तिमाही प्रगति रिपोर्ट आदि अपलोड करने की सुविधा दी गई है।
गली-गली टावर के रूप में बने छोटे अपार्टमेंट हर लिहाज से खतरनाक हैं। न इनके निर्माण की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती है और न ही इन्हें बेचने या अनुबंधों पर किसी का नियंत्रण रहता है। अवैध रूप से बनी इन इमारतों के फ्लैटों की खरीदारी ज्यादातर नकद होती है। रजिस्ट्री की बाध्यता से नाममात्र का लेनदेन कागजों में किया जाता है। इन फ्लैटों के खरीदारों की सुनवाई भी कहीं नहीं होती है। प्रदेश में लखनऊ, कानपुर, नोएडा समेत 15 शहरों में ऐसे 20 हजार से ज्यादा अपार्टमेंट हैं।