मेरठ 04 मार्च (प्र)। गैस सिलेंडरों को लेकर आये दिन होने वाली घटनाओं से चिन्तित नागरिकों व सरकार दोनों का प्रयास बताते है कि गैस गोदाम आबादी से बाहर हो। लेकिन पता नहीं क्या कारण है कि इस काम को पूरा कराने के लिए जिम्मेदार जिला पूर्ति विभाग और अन्य अधिकारी द्वारा लाला रामानुज दयाल वैश्य बाल सदन में आबादी के बीच स्थित पासी गैस गोदाम को वहां से हटवाने और नियमानुसार बाहर ले जाने के लिए प्रयास क्यों नहीं किये जा रहे है। जिलाधिकारी जी नागरिकों में चिन्ता है कि किसी भी समय अगर यहां कोई अनहोनी हो गई तो बहुत बड़ी घटना हो सकती है। इस तथ्य को ध्यान में रख आप ही अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इसे हटवाकर सरकार के नियमों का पालन और आम आदमी को राहत दिला सकते है।
समाज में जैसे जैसे जागरूकता बढ़ रही है और सरकार हमारे अधिकारों का लाभ हमें दिलाने और बताने की कोशिश पुरजोर तरीके से करती नजर आ रही है। उसके बाद भी या तो इसे हमारी कमजोरी या लापरवाही कहंे या हर क्षेत्र में माल कमाने के लिए सक्रिय दबंगों की हठधर्मी एवं नियम कानूनों का पालन कराने तथा हर व्यक्ति को भयमुक्त वातावरण में सांस लेने का अवसर देने वाले कुछ जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही जो भी हो कुछ मामलों में हमारे शहर के कई इलाके आगे के ढेर पर बैठने के समान स्थिति में है। अभी बीते दिनों कंकरखेड़ा आदि क्षेत्र के नीलकंठ कॉलेज के निकट पाबली रोड पर सुरजकुंड निवासी नवीन अग्रवाल के एचपी गैस गोदाम में अचानक आग लग गई। भगवान का शुक है कि गोदाम के मैनेजर इमरान को समय से पता चल गया और वो वहां स्थित आवास से बाहर निकले और परिवार की महिला रूखसाना, रेश्मा और बच्चों ने बाहर निकलकर अपनी जान बचाई। छत से कूदी महिला रूखसाना और रेशमा घायल भी रही मगर कंकरखेड़ा पल्लवपुरम और दौराला पुलिस व फायर बिग्रेड ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। वरना आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 826 घरेलू, 70 ऑक्सीजन और 178 कॉमर्शियल गैस सिलेंडर क्या कर सकते थे।
उपर वाले की इसे मेहरबानी ही कहेंगे कि इतनी बड़ी घटना होते होते रह गई और कोई जान माल की हानि नहीं हुईं । देश में जहां रिहायशी इलाकों में खुले गोदामों व पटाखा फैक्ट्री में लगने वाली आग का जो हश्र होता है और उसमें जो जान माल की हानि होती है वो रूह कंपा देती है। उसके बावजूद पासी गैस गोदाम को अधिकारी और जिला पूति विभाग व पेट्रोलियम मंत्रलाय के अफसर इस ओर से क्यों चुप्पी साधे हैं जो उनके द्वारा सारे नियम कानून तोड़ बस्तियों के बीच बने गैस गोदाम को वहां से हटवाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जिला पूर्ति विभाग के अफसरों की लापरवाही का यह हाल है नागरिकों के अनुसार कि शहर के बीचो बीच इनके कार्यालय ये कुछ ही कदम के फासले पर स्थित लाला रामानुज दयाल वैश्य बाल सदन जिसमें अब काफी आबादी रहती है यहां इंदिरा गांधी वुमेन हॉस्टल में महिलाएं रहती हैं और बाल सदन में भी कुछ बच्चे या पुलिस द्वारा भेजे गए बच्चे हो सकते हैं। साथ ही यहां छोटे बच्चों का एक स्कूल भी है। इसके गेट पर पेट्रोल पंप मौजूद है लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारी और जिला पूर्ति अधिकारी का ध्यान इस गोदाम को हटवाने की तरफ क्यों नहीं जा रहा। बताते हैं कि जब यहां टीआर जोजफ डीएम हुआ करते थे और महेश चंद एडीएम राशयनिंग थे उस दौरान पासी गैस गोदाम को खाली कराने हेतु कार्रवाई शुरू की गई थी और गैस एजेंसी के संचालक पर जानकारों के अनुसार गंभीर धाराओं में मुकदमे भी दायर हुए थे। बाद में पता नहीं किन कारणों से गोदाम को हटवाने का सिलसिला बंद हो गया या कागजों में दबकर रह गया अथवा मुकदमेबाजी के चक्रव्यूह में उलझ गया। क्योंकि किसी ने भी उस कार्रवाई में आगे क्या हो रहा है यह बताने की आवश्यकता नहीं समझी। इस स्थिति को देखकर पाठक आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि सरकारी हुक्मरान कितने सक्रिय और जिम्मेदारियों को निभाने में प्रयासरत हो सकते हैं।
मेरा डीएम वीके सिंह से आग्रह है कि बाल सदन परिसर में गैस गोदाम और होने वाली संभावित आपदाओं और बाहर बने पेट्रोल पंप व यहां रहने वाली आबादी को जनहित में इस गैस गोदाम को शहर से बाहर स्थानांतरित कराया जाए। जैसे आए दिन आग की घटनाएं होने और उनका हश्र की खबरें पढ़ने सुनने को मिलती हैं वो दिल दहलाने वाली होती है।
प्रस्तुतिः दैनिक केसर खुशबू टाइम्स टीम