महाकुंभ नगर 24 फरवरी। महाकुंभ की अलौकिक आभा ने दुनियाभर के लोगों को आकर्षित किया है। अपेक्षा से अधिक 61 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई। जनकल्याण, राष्ट्रोत्थान, गो रक्षा और सामाजिक समरसता का संदेश दुनियाभर में गया। उत्तर और दक्षिण के धर्मगुरुओं का समागम हुआ।
अहम रहा गुलामी के दौर में मिले पेशवाई और शाही स्नान का नाम बदलना। अखाड़ों की मांग पर सनातन संस्कृति का मान बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेशवाई और शाही स्नान का नाम बदलने का ऐतिहासिक काम किया। पेशवाई को छावनी प्रवेश और शाही स्नान का नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया। अब अखाड़े उज्जैन, हरिद्वार और नासिक में होने वाले कुंभ, अर्द्धकुंभ मेला में पेशवाई व शाही स्नान का नाम बदलवाना चाहते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद तीनों प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से मिलकर अभिलेखों से शाही और पेशवाई शब्द हटाने की मांग करेगा।
सनातन धर्म और संस्कृति के संवाहक हैं अखाड़े। अर्द्धकुंभ, कुंभ और महाकुंभ में आमजन को अखाड़ों के वैभव, परंपरा और इतिहास को जानने-समझने का मौका मिलता है। सदियों से अखाड़ों के मेला क्षेत्र में प्रवेश को पेशवाई और स्नान को शाही स्नान कहा जाता था।
पेशवाई फारसी और शाही उर्दू शब्द है। अखाड़ों का मत है कि सनातन धर्म से जुड़ी परंपरा का नाम संस्कृत अथवा हिंदी में होना चाहिए। भाषाविद, सनातन धर्म के मर्मज्ञ, समाजसेवी, तीर्थपुरोहित सहित हर वर्ग के लोगाें ने अखाड़ों की मांग काे समर्थन दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबकी मंशा के अनुरूप नाम बदलने की घोषणा कर दी।
रवींद्र पुरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखाड़ों और सनातन धर्मावलंबियों की मंशा का सम्मान रखते हुए पेशवाई और शाही स्नान का नाम बदलने का उत्कृष्ट कार्य किया है।
ये मांग करेंगे अखाड़े
अब 2027 में नासिक में कुंभ, 2027 में हरिद्वार में अर्द्धकुंभ और 2028 में उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ होना है। हर जगह अखाड़ों की परंपरा समान है। ऐसे में उसके नाम में एकरूपता होनी चाहिए। जैसे अभी तक हर जगह पेशवाई और शाही स्नान शब्द का प्रयोग होता था। उसकी जगह अब छावनी प्रवेश और अमृत स्नान होना चाहिए।
अभिलेखों में नया नाम लिखवाने के लिए अखाड़ा परिषद का प्रतिनिधिमंडल तीनों प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से मिलेगा। उन्हें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तरह छावनी प्रवेश और अमृत स्नान का नाम रखने का प्रस्ताव दिया जाएगा।