Date: 21/11/2024, Time:

सरकार मोदी रबड़ गृहकर वसूलने के साथ ही नगर निगम के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करे और जुर्माना लगाए

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सरकारी टैक्सों की वसूली करने में विभागों के अफसर करोड़ों रूपये की वसूली करने में नियमों के पुतले बन जाते हैं लेकिन बड़े बड़े लोगों पर जो विभिन्न प्रकार के कर सालों से बकाया होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती ऐसा क्यों हो रहा है कोई सोचने को तैयार नहीं है। इसके उदाहरण के रूप में हम लगभग 100 करोड़ के मोदी टायर प्रा. लिमिटेड के गृहकर की खबर को पढ़कर आसानी से लगा सकते है। लेकिन सिर्फ उद्योगपियों के लोगों को क्यों दोष दें नगर निगम के अफसर भी उतने जिम्मेदार ठहराए जाएं जितना व्यापारी या उद्योगपति है।
सूचना का अधिकार कार्यकर्ता लोकेश खुराना की ओर से आरोप लगाया गया था कि मोदी रबर पर निगम की ओर से गृहकर निर्धारण में बड़ी धांधली की गई है। क्योंकि मोदी रबर की जमीन 117 एकड़ है मगर निगम अफसरों ने 58.67 एकड़ जमीन पर गृहकर का निर्धारण किया। एक खबर के अनुसार मोदी रबर के गृहकर मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश के बीच नगर निगम ने कंपनी को 105 करोड़ 30 लाख से अधिक के भुगतान का बिल जारी कर दिया है। नगर निगम के अफसरों का कहना है कि 90 करोड़ 48 लाख से अधिक पुराना बकाया है। वर्तमान गृह कर का बिल 24 करोड़ 14 लाख 80 हजार 413 (वार्षिक रेंटल वैल्यू) एआरवी के आधार पर जारी किया है।
नगर निगम की ओर से बिल मोदी रबर की कंपनी मोदी टायर कंपनी प्रा.लि.कांटिनेंटल के नाम से जारी किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 को लेकर कंपनी को 105 करोड़ 30 लाख 45 हजार 878 रुपये 87 पैसे का बिल जारी किया है। 30 नवंबर तक भुगतान करने को कहा है। उक्त बिल नियमानुसार छूट के बाद का है। बिना छूट का बिल 106 करोड़ 29 लाख 46 हजार 575 रुपये 87 पैसे का है। नगर निगम ने बिल में बताया है पुराना बकाया 90 करोड़ 48 लाख 59 हजार 902 रुपये 87 रुपये का है। बकाया को जोड़कर वर्तमान बिल जारी किया है, जो नगर निगम की ओर से किसी को जारी अब तक का सर्वाधिक रकम का बिल है। निर्धारित तारीख 30 नवंबर तक बिल का भुगतान न करने पर नगर निगम अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात कही गई है। कंपनी को बिल रिसीव करा दिय गया है। नगर आयुक्त की ओर से गठित तीन सदस्यीय टीम ने भी मोदी रबर मामले में जांच शुरू कर दी है।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने आरोप लगाया है, मोदी रबर पर निगम की ओर से गृह कर का निर्धारण में बड़ी धांधली की गई है। मोदी रबर की कुल जमीन 117 एकड़ है, जबकि नगर निगम ने 58.67 एकड़ जमीन पर गृह कर का निर्धारण किया है। नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत है।
नगरायुक्त सौरभ गंगवार का कहना हेै कि मामले की जांच के लिए तीन अफसरों की समिति गठित की गई है। उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। मेरा मानना है कि इसमें जांच की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आंकड़े सामने है। अगर जांच होनी है तो किसी प्रशासनिक अधिकारियों से कराई जाए जो निगम से संबंधित ना हो।
इस मामले में विभागीय अधिकारियों की संलिप्ता तय कर जांच कराई जाए और इन पर जुर्माना गृहकर की रकम के हिसाब से वसूला जाए। क्योंकि जब तक अधिकारियेां के घोटालें में शामिल होने की बात सामने आती रहेगी तब तक ऐसे प्रकरण रोकना संभव नहीं है। जहां तक निगम के अफसरों की बात है तो नागरिकों के अनुसार वो तो अभी भी लीपापोती करने से नहीं चूकने वाले हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक गृहकर जमा हो चुका होता।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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