गांव हो या देहात देशभर के गली मोहल्लों से लेकर महानगरों तक मिलावटखोरी का बाजार जानकारों के अनुसार चरम पर है। किसान को खेती के लिए शुद्ध खाद और बीज मिलना मुश्किल हो रहा है तो आम आदमी को व्रत और सामान्य दिनों में शुद्ध खाद्य सामग्री जैसे दूध मसाले कुटटू या सिंघाड़े का आटा मिलावटविहीन मिलना मुश्किल है। बीते बुधवार को उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के काम की समीक्षा करते हुए कहा कि तेल घी मसाले दूध दही पनीर जैसी दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी शुद्ध मिलना मुश्किल हो रही है। उन्होंने कहा कि इनकी जांच सघन रूप से होनी चाहिए । टीम बनाकर निगरानी रखें। आवश्यकता पड़े तो विभाग के नेटवर्क का विस्तार कर मिलावटखोरों की चौराहों पर तस्वीर लगाएं। उन्होंने कहा कि इसकी जांच के लिए प्रयोगशालाओं का एक बड़ा नेटवर्क अलीगढ़ अयोध्या, आजमगढ़ देवीपाटन, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर और सहारनपुर मंडलों में भी बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि लखनऊ मेरठ प्रयागराज में तीन माइक्रो बायोलॉजी प्रयोगशाला बनाई गई है। उन्होंने इसके रखरखाव के लिए कॉपर्स फंड बनाने का सुझाव दिया। मेरा मानना है कि मुख्यमंत्री का नजरिया बिल्कुल सही और समयानुकुल है। लेकिन यह आदेश लागू हों और आम नागरिकों को इनका लाभ मिल सके इसके लिए जरूरी है कि मिलावटखोरों की तस्वीर के साथ साथ उस क्षेत्र के खाद्य सुरक्षा से संबंध अधिकारियों की तस्वीर लगाई जाए क्येांकि इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि कभी कभी मिलावटखोरी बिना इनकी जानकारी के हो सकती है लेकिन बड़े स्तर पर नहीं। ऐसे में जब तक विभाग के अधिकारियेां के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तब तक मिलावटी खाद्य सामग्री का उपयोग बंद होना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री का निर्णय और नजरिया दोनों ही सही है। बस दोनों का ध्यान रखते हुए उसे लागू करने की आवश्यकता है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मिलावटखोरों के साथ ही खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की भी चौराहों पर लगाई जाए तस्वीर
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