कुछ देशों में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या को लेकर चिन्ता और विचार विशेष रूप से चल रहा है इससे अपना देश भी अछूता नहीं है। लेकिन एक बात अच्छी है कि अपना देश विश्व के सबसे युवाओं वाले देशों में शामिल है क्योकि यहां अभी खबरों के अनुसार हर चौथा व्यक्ति 15 से 29 वर्ष के बीच का है। और हमारे युवा भारतीय होने पर गर्व भी करते है। वैसे अगर देखे तो अपने यहां के कुछ क्षेत्रों में शायद 35 वर्ष के व्यक्ति को भी युवा माना जाता है। और इसमें कोई गलत भी नहीं है क्योकि ज्यादातर 40 की उम्र तक लोग अपने आपकों उत्साही मानकर काम करते है। मगर वॉयसेज फॉर इन्क्लूजन बिलॉन्ंिगग एंड एंपावरमेंट में सामने आई बात से जो तथ्य उभरकर आये है कि हमारे युवा राष्ट्र भक्ति में आगे है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। इसके अतिरिक्त सभी जातियों और धर्म व वर्गों के युवाओं की धार्मिक क्षेत्रों में रूचि भी भरपूर नजर आती है। तथा समाजिक कार्यों में भी यह बढ़चढ़कर हिस्सा लेते नजर आते है। और सबसे बड़ी बात ज्यादातर युवाओं की प्रगतिशील सोच उच्च नीच के भेदभाव को चुनौती दे रही है। यह महिलाओं की स्वत्रंतता के बारे में खुली राय रखने के साथ ही सभी के लिए प्रेम की स्वंतत्रता का भी समर्थन करते है। लेकिन एक बात सोचनीय है कि युवाओं की संख्या सामाजिक मुद्दों पर तो सक्रिय है लेकिन राजनीति में सिर्फ रूचि दिखाते है उसमें बढ़चढ़कर हिस्सा लेने में इनमें उत्साह नजर नहीं आता।
एक समाचार के अनुसार 2024 के हुए आम चुनाव में लगभग 66 प्रतिशत मतदाता शामिल हुए और 86 प्रतिशत युवा भी लोकसभा चुनाव में भाग लेना चाहते थे। सर्वे के अनुसार 29 प्रतिशत युवा राजनीति से दूर रहते है लेकिन 26 प्रतिशत रूचि रखते हुए भी दलों से नहीं जुड़ते यह सोच और विचार हमारी युवा पीढ़ी में क्यों उत्पन्न हो रहा है राष्ट्रहित में इस पर चर्चा अनिवार्य है। क्योंकि इनकी प्रवृत्ति निराशा व अविश्वास के कारण हो सकती है। यह बात अच्छी है कि 81 प्रतिशत युवा पहले खुद को भारतीय मानते है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी राजनीति में युवाओं के आगे आने का आह्वान कई बार कर चुके है। और जहां तक मुझे लगता है तथा भाजपा को जो समर्थन व जीत प्राप्त हो रही है उसका मुख्य कारण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति युवाओं की साकारात्मक सोच का परिणाम कह सकते हैं। इसलिए देश की राजनीति में सक्रिय सभी दलों के प्रमुख नेताओं को अपने स्तर पर प्रयास कर ऐसे अभियान चलाने चाहिए जिसे राजनीति में सिर्फ रूचि रखने वाले युवाओं की इस क्षेत्र में सक्रिय और काम करने की इच्छा भी जागृत हो क्योंकि यह देश की राजनीति को स्वच्छ और प्रभावी बनाने के लिए युवाओं की आवश्यकता को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
आज क्षेत्र कोई सा भी हो विचार किसी भी मुद्दें को लेकर हो हर जगह हमारे युवाओं से सभी को बड़ी आशाऐं उभरकर सामने आती है। मुद्दा चाहे दहेज प्रथा व जातिवाद को समाप्त करने का हो अथवा समाज में फैली बुराईयों को दूर करने का हर कोई यही कहता घूमता है कि यह काम युवा ही कर सकते है और यह सही भी है।
लेकिन कई बार देखने को मिला है कि युवाओं से हम उम्मीद तो पूरी करते है लेकिन जब उसके पालन करने का समय आता है तो हम शायद भूल जाते है कि युवाओं को सहयोग भी देना होगा क्योंकि आज भी जहां तक दिखाई दे रहा है हमारे युवा दहेज लेना और देना सही नहीं मानते। जातिवाद और वर्ण व्यवस्था से भी इन्हें कोई लगाव उच्च स्तर पर नजर नहीं आता। इसलिए मेरा मानना है कि स्वच्छ छवि के राजनेता युवाओं के सम्मेलन बुलाये और उसमें अपनी विचार धारा और राजनीतिक गतिविधियों तथा वो क्या करना चाहते है और क्या कर रहे है इससे उन्हें अवगत कराये। क्योंकि राजनीति से युवाओं की दूरी किसी भी रूप में ना तो राष्ट्रहित में कह सकते है और ना ही समाज हित में। वैसे भी अब 18 साल का जो युवा मतदाता बन रहा है उसके हिसाब से हर क्षेत्र में योजनाऐं बनाना और उन्हें आगे बढ़ाना वक्त की सबसे बड़ी मांग कही जा सकती है। क्योकि जब ऐसा होगा तभी युवाओं का जोश और उत्साह राजनीति में सक्रिय होने और जिस प्रकार राष्ट्रहित और देशभक्ति में आगे है उसी प्रकार राजनीति के हिसाब से समाज का भला करने के लिए आगे बढ़कर काम करने की सोच सकते है। और समाज की इस सोच को दूर कर सकते है जो कई मौकों पर यह कहते सुने जाते है कि राजनीति में अच्छे लोगों का अभाव नजर आ रहा है। अगर हम अच्छा संदेश देंगे तो यह कमी दूर हो सकती है। मुझे लगता है कि इसके लिए जब भी कोई चुनाव हो या राजनीतिक दलों के पदाधिकारी घोषित किये जाए तब युवाओं को पद और टिकट देने के मामले में भाई भतीजावाद जाति बिरादरी और वो कितने असरदार है यह ना देखकर यह देखा जाए कि वो समाज और देश के लिए क्या करना चाहते है और उनकी छवि और अब तक की कार्यप्रणाली क्या रही है उसके हिसाब से जिस प्रकार से महिलाओं को 40 प्रतिशत भागीदारी देने की बात उठती है उसी तरह से हर क्षेत्र में 40 प्रतिशत युवाओं को प्राथमिकता बिना भेदभाव के दी जाए तो राष्ट्रभक्ति के साथ साथ राजनीति में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने में यह भी शायद पीछे नहीं रहेंगे। और भविष्य में इसके परिणाम भी अच्छे होंगे क्योकि इनके द्वारा अपने हिसाब से शिक्षा व्यापार व समाज में स्वच्छ सोच के साथ जागरूकता की क्रांति लाने का जो काम किया जाएगा वो हर तरीके से राष्ट्र समाज और नागरिकों के हित में रहेगा यह बात विश्वास के साथ कही जा सकती है।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री व मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य)
स्वच्छ छवि के राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत युवाओं को सभी राजनीतिक दल दे 40 प्रतिशत हिस्सेदारी
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