सपा मुखिया अखिलेश यादव सुलझे विचारों के सीएम रहने के लिए जाने जाते हैं वहीं मिलने वालों से किए जाने वाले मधुर व्यवहार को लेकर उनकी चर्चा होती है। लेकिन सबसे बड़ी पहचान उनके बयान बने रहते हैं। वर्तमान में फर्जी एनकांउटर और फिर मठाधीश व माफियाओं में ज्यादा फर्क नहीं शब्द बोलकर उन्होंने भाजपा को अपने उपर सियासी शब्दबाण छोड़ने और निदंा करने का मौका दिया वहीं संत महात्मा भी संतों को मठाधीश व माफिया से तुलना करने पर उनसे नाराज है। स्वामी हरि चैतन्य का कहना कि गुरू शिष्य परंपरा से चलता है मठ। श्री महंत रविंद्र पुरी व स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के साथ अखिलेश के बयान की निंदा की है। स्वामी यतींद्रानंद गिरी ज्ञानी गुरूजीत सिंह राम दिनेशाचार्य बिंदु गद्याचार्य देवद्र प्रसाचार्य आदि ने कहा कि सनातन में न करें राजनीति अखिलेश तो दूसरी ओर यूपी कैबिनेट भी इस मुददे पर अखिलेश यादव को घेरने में पीछे नहीं है। एनकांउटर के मुददे पर पुलिस भी बयान दे रही है कुल मिलाकर देखें तो संतों के बारे में अखिलेश यादव ने जो कहा उसका उददेश्य कुछ भी रहा तो लेकिन संत और सनातन धर्मी उनसे नाराज हैं। यह कहा जा सकता है कि अखिलेश जी बीते लोकसभा चुनाव में आपका जो राजनीतिक कद यूपी में उभरकर आया अगर उसे बनाए रखना या आगे बढ़ाना चाहते हैं तो संत महात्माओं मठ मंदिरों के बारे में इस प्रकार के विचार व्यक्त करना बंद कीजिए। क्योंकि सनातनधर्मियों को नाराज कर राजनीति में सफलता का परचम फहराना किसी के लिए संभव नहीं कहा जा सकता। अच्छा तो यह है कि सत्ताधारी दल बयान बाजी का जोर करे इससे पहले ही इस कथन के पीछे का सच संतों के सामने लाए या बिना शर्त माफी मांगने मंे कोई हर्ज नहीं आता है। इस मौके पर आपको सपा संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव की मुलायम नीति को आत्मसात कर निर्णय लेना चाहिए। क्योंकि संतों को नाराज करना मतदाताओं को अपने से दूर धकेलना ही कह सकते हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अखिलेश जी संत महात्माओं और सनातन धर्म के बारे में कुछ भी कहना सही नहीं
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