प्रयागराज 13 सितंबर। 20 सितंबर 2021 को पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद दो धड़े में बड़ा अखाड़ा परिषद अब एक बार फिर एक होगा। प्रयागराज की धरती पर महाकुम्भ 2025 से पहले दोनों धड़े कुम्भ की सफलता को देखकर एकजुट हो सकते हैं। इसके लिए अगले सप्ताह प्रयागराज में ही बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में एक साथ कई अहम फैसले होने हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की मौत बाघम्बरी मठ में 20 सितंबर 2021 को हो गई थी। महंत की आत्महत्या के बाद से अखाड़ा परिषद दो धड़ों में बंट गया। एक धड़े के महामंत्री जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरिगिरि हो गए तो दूसरे अखाड़े के महामंत्री अनि अखाड़े के सचिव महंत राजेंद्र दास चुने गए। वर्ष 2021 में दोनों ही गुटों ने अपने साथ सात अखाड़ों के समर्थन का दावा किया और अपने को ही असली दावेदार बताया।
अब देश भर के सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों के लिए आईकार्ड जारी किये जाएंगे. नकली साधु संतों से अपनी अलग पहचान करने के लिए अखाड़ों ने खुद ही यह अहम निर्णय लिया है. इन परिचय पत्रों में सन्यासियों का नाम- पता ,मोबाइल नंबर और उनका अखाड़े में पद वगैरा का ब्योरा होगा. इसे संबंधित अखाड़े के उच्च पदाधिकारी जारी करेंगे.
जनवरी में होने जा रहे प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों के साधुओं का यह नया कॉरपोरेट लुक सामने आएगा. देश में लगातार बढ़ रही भगवा धारियों की भीड़ के बाद कई बार यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि कौन भगवा धारी सचमुच में साधू है और कौन संत के वेश अराजक त्व या नकली साधु है.
अब यह दुविधा नहीं रहेगी. देश के 13 अखाड़ों ने फैसला किया है, कि अब अखाड़ों से जुड़े हर साधु-संन्यासी के लिए आईकार्ड जारी होंगे. इस आई कार्ड में संन्यासी का पासपोर्ट साइज फोटो , नाम , पता , मोबाइल नंबर के अलावा सम्बंधित अखाड़े में उसके पद का पूरा ब्योरा दर्ज होगा.
अखाड़े के सचिव के हस्ताक्षर से तैयार आईकार्ड में एक गोपनीय बार कोड भी होगा, जिसकी जानकारी केवल अखाड़े के सचिव के पास ही होगी. नकली साधुओं और अराजकतत्वों द्वारा खुद को साधु बताने से बदनाम हो रही सन्त परंपरा को असली संन्यासियों से अलग करने के लिए यह निर्णय लिया गया है.प्रयागराज महाकुंभ से इसकी शुरुआत होगी.
बताते चले कि संगम नगरी प्रयागराज में कुछ महीनो बाद महाकुंभ का आयोजन होना है. इस बार के महाकुंभ में देश दुनिया से तकरीबन चालीस करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में अखाड़ों के संत महात्मा राजसी अंदाज में पेशवाई निकालकर नगर प्रवेश करेंगे तो साथ ही तीन प्रमुख स्नान पर्वों पर परंपरागत तौर पर शाही स्नान भी करेंगे. हालांकि महाकुंभ से पहले पेशवाई और शाही स्नान जैसे उर्दू व फारसी के शब्दों को बदलकर उनकी जगह दूसरे नाम इस्तेमाल करने की मांग लगातार तेज होती जा रही है.