चंडीगढ़ 24 अक्टूबर। चंडीगढ़ पीजीआई ने मानव सेवा का नया उदाहरण पेश किया है. यहां दो दिनों में चार अंगदान हुए हैं, जिससे आठ लोगों को नई जिंदगी मिली है. चार ग्रीन कॉरिडोर के जरिए अंगों को विभिन्न अस्पतालों में पहुंचाया गया. सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले दो युवाओं के परिवारों ने अंगदान का साहसिक फैसला लिया. इन परिवारों के साहसिक कदम की वजह से ही हृदय, फेफड़े और यकृत जैसे महत्वपूर्ण अंगों का प्रत्यारोपण किया गया.
बता दें कि गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में एक व्यक्ति के हृदय का प्रत्यारोपण हुआ. हैदराबाद के किम्स अस्पताल में फेफड़ों का प्रत्यारोपण हुआ. दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल में दोनों युवाओं के यकृत का प्रत्यारोपण किया गया. इसके अलावा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में दो किडनी-पैंक्रियाज और दो किडनी ट्रांसप्लांट किए गए, जिससे पांच लोगों की जिंदगी बचाई गई. अंगदान से प्राप्त अंगों में एक हृदय, एक फेफड़ा, दो लिवर, 4 किडनी और एक अग्नाशय शामिल है।
पीजीआई के अनुसार 22 अक्तूबर को एक 24 वर्ष के युवक को सड़क दुर्घटना के बाद गंभीर स्थिति में पीजीआई भर्ती कराया गया। जहां ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिजनों ने उसके अंगदान का निर्णय लिया। उस अंगदाता के हृदय, फेफड़े और यकृत का कोई मिलान पीजीआई में प्राप्त नहीं था इसलिए रोटो पीजीआई ने नोटो के माध्यम से देश के विभिन्न अस्पतालों से संपर्क साधा। इसके बाद हृदय को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल, फेफड़ों को सिकंदराबाद के केआईएमएस और यकृत को नई दिल्ली के आईएलबीएस भेजा गया। इसके अतिरिक्त पीजीआई में भर्ती दो मरीजों को उसकी एक किडनी और अग्नाशय और दूसरी किडनी प्रत्यारोपित कर उन दोनों की जान बचाई गई है। इस अंगदाता ने पांच लोगों को नया जीवन दिया है। इसी क्रम में 21 अक्तूबर को 18 साल के युवक के इलाज के दौरान पीजीआई में ब्रेनडेड घोषित होने पर उसके परिजनों ने अंगदान का निर्णय लिया। उसके अंगों में से लीवर को नई दिल्ली आईएलबीएस भेजा गया, जबकि एक किडनी और अग्नाशय व दूसरी किडनी पीजीआई में भर्ती दो मरीजों में प्रत्यारोपित की गई है।