अमरावती, 18 अप्रैल । आंध्र प्रदेश ने अनुसूचित जातियों आरक्षण के भीतर आरक्षण देने के लिए अध्यादेश जारी किया। राज्य में कुल 59 एससी जातियों को 15 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एससी और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) कोटे में कोटा देने की अनुमति दी थी।
आंध्र प्रदेश के अध्यादेश में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए एससी जातियों को तीन ग्रुप में बांटा गया है। इसमें चंदाला, पाकी, रेल्ली, डोम जैसी 12 जातियों को 1 प्रतिशत आरक्षण के साथ ग्रुप-वन, मादिगा, सिंधोला, मातंगी जैसी जातियों को 6.5 प्रतिशत आरक्षण के साथ ग्रुप-टू में और माला, अदि आंध्र, पंचमा जैसी जातियों को 7.5 प्रतिशत आरक्षण के साथ ग्रुप-थर्ड में रखा गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने पिछले साल दिसंबर में रिटायर्ट आईएएस राजीव रंजन मिश्रा को एससी कोटे में कोटा देने के लिए एक सदस्यीय आयोग के रूप में नियुक्त किया। आयोग ने 2011 की जनगणना के आधार पर रिपोर्ट दी थी, जिसे केंद्र को भेजा गया था।
तेलंगाना और हरियाणा पहले ही लागू कर चुके कोटे में कोटा
इससे पहले तेलंगाना और हरियाणा सरकार एससी कोटे में कोटा लागू कर चुकी है। तेलंगाना ने 14 अप्रैल को आदेश जारी कर एससी जातियों को तीन ग्रुप में बांटा है। इसके लिए राज्य सरकार ने अक्टूबर, 2024 में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शमीम अख्तर की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया था। वहीं, हरियाणा में भाजपा की तीसरी बार सरकार बनाने के बाद सीएम नायब सिंह सैनी ने पहली कैबिनेट मीटिंग में एससी और एसटी कोटे में कोटा देने का फैसला किया था। राज्य में एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण है।
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 20 साल पुराना फैसला
1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्यों को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर सब-क्लासिफिकेशन का अधिकार दे दिया। सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया और 2004 में आए ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश केस के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि SC जातियों को आंतरिक तौर पर विभाजित नहीं किया जा सकता। नए फैसले का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों तक आरक्षण का लाभ सही तरीके से पहुंचाना है।